ऊंचाहार, रायबरेली। एनटीपीसी ऊंचाहार के आवासीय परिसर स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम में कराटे कलर बेल्ट टेस्ट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिला कराटे संघ रायबरेली के तत्वाधान में आयोजित प्रतियोगिता में 80 खिलाड़ियों ने भाग लिया और 50 खिलाड़ी सफल हुए। कराटे कलर बेल्ट टेस्ट का आयोजन वर्ल्ड मॉडर्न शॉटोकन कराते फेडरेशन ऑफ इंडिया के दिशा निर्देशन में आयोजित किया गया था।
इस प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल के रूप में विवेक वर्मा, रितिका गुप्ता, युवराज सिंह, पर्णिक सिंह, शिवेंद्र सिंह, सूर्यांश पांडे, व अभियान श्रीवास्तव, रिंकी पटेल, युवराज मौर्य रहे। प्रतियोगिता चार भागों में कराई गई, जिसमें फिजिकल फिटनेस, फ्लैक्सिबिलिटी टेस्ट, कराटे का बेसिक नॉलेज जैसे कि (ब्लॉक किक पंच) के साथ-साथ काते और किहोन की जांच की गई। इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने वालों में अकर्ष, नेहा, श्रेयांश, अप्रेमय, जतिन, आरोही, हर्षिका, हर्षित सिंह, आयुषी, अंश कुमार रहे। जबकि द्वितीय स्थान आर्यन, लक्ष्य, स्नितिक, प्रिशा, मायरा, टीया, पायल ईशान्वी व पूर्वी को मिला, तृतीय स्थान के रूप में लक्षित्य, श्रेष्ठ, इकरा, सिद्धिक, शौर्य, जोहो आफताब, पुलकित, विवान को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर जिला कराटे संघ के अध्यक्ष मास्टर राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि एक अच्छे खिलाड़ी की पहचान खिलाड़ी के अंदर चुस्ती फुर्ती और लचीलापन का होना बहुत जरूरी है। इसके लिए नियमित अभ्यास और योग की सहायता से खिलाड़ी अपने आप को बेहतर बना सकते हैं। तो वहीं स्पोर्ट्स काउंसिल के सचिव उज्जवल प्रताप सिंह ने बताया कि पहले के मुकाबले बच्चों में काफी बदलाव देखने को मिला है, एक समय था जब बच्चे थोडी प्रैक्टिस में ही थक जाते थे लेकिन आज बच्चों ने समय को बदल दिया। मुझे गर्व होता है और देखकर खुशी मिलती है कि लगातार दो-तीन घंटे बच्चे प्रेक्टिस करते हैं। उसी एनर्जी और उसी स्टैमिना के साथ निश्चित ही हमारे टाउनशिप के बच्चे इस खेल में कुछ बड़ा करके दिखाएंगे। एनटीपीसी स्टेडियम कोच/ कराटे एसोसिएशन के सचिव राहुल कुमार पटेल ने बताया कि खिलाड़ियों को फर्श से अर्श तक पहुंचने में हर कोच को बड़ी मेहनत करनी पड़ती है और एक कोच के लिए सबसे खुशी की बात तब होता है जब उसके द्वारा सिखाया गया खिलाड़ी आगे निकलकर अपनी अलग पहचान बनाता है और उसके नाम से कोच को जाना जाता है। वर्तमान में अधिकांश बच्चे केवल मोबाइल और टीवी के साथ जुड़ाव ज्यादा रखना पसंद करते हैं जबकि कहीं ना कहीं उनके स्वास्थ्य के लिए वह बहुत ही हानिकारक है। सभी अभिभावक को चाहिए कि उन्हें कम से कम 1 से 2 घंटे फील्ड में मेहनत करने दें। जिससे उनके शारीरिक और मानसिक स्वभाव में फर्क आए और उनके विचारों में भी बदलाव आए। ऐसा तभी मुमकिन है जब बच्चे मोबाइल लैपटॉप छोड़कर स्टेडियम में या फिर कहीं पर भी आउटडोर खेलने जाएं। इस अवसर पर स्पोर्ट्स काउंसिल से आशीष गैरोला लक्ष्मीकांत सिंह विमलेश सिंह के साथ-साथ कई सारे अभिभावक उपस्थित रहे।