Sunday, November 24, 2024
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ग़ज़ल

कुछ करो जीतने के लिए साथियों।
अब चलो जीतने के लिए साथियों।
जो किया अब तलक भूल जाओ उसे,
अब लड़ो जीतने के लिए साथियों।
कल किया था जिसे फिर करो अब वही,
फिर बढ़ो जीतने के लिए साथियों।
साम हो दाम हो दण्ड हो भेद हो,
यूँ चलो जीतने के लिए साथियों।
चैन से बैठने का नहीं अब समय,
कुछ करो जीतने के लिए साथियों।
हमीद कानपुरी, कानपुर