चंदन सी महके और दमके,
तू मलय गंध लेकर हिंदी।
बच्चों की किलकारी में तू,
भारत मां को प्यारी हिंदी।
हम सबकी पहचान है हिंदी,
हिंदुस्तान की aजान है हिंदी।
भारत का अभिमान है हिंदी
सबके लिए आसान है हिंदी
स्वर व्यंजन से बंधी ये हिंदी,
कस्तूरी सी ये महके हिंदी।
रणक्षेत्र में जैसे ढाल ये हिंदी
क्षत्रिय की तलवार यह हिंदी
मां की गोदी का लाल ये हिंदी ,
माझी की पतवार ये हिंदी ।
नववधू की कुमकुम जैसे हिंदी ,
जन-जन के हृदय बसी ये हिंदी ।
हिंदुस्तान की शान ये हिंदी ,
अपनों की पहचान ये हिंदी ।
भक्तों की अरदास ये हिंदी ,
मांओं की उपवास ये हिंदी।
मीरा रसखान कबीर तुलसी ,
है महावीर की वाणी हिंदी ।
गंगा यमुना और सरस्वती ,
संगम की यह रवानी हिंदी ।
साधक की “नाज़” बनी साधना हिंदी,
शंखों से मुखरित होती हिंदी।