Sunday, November 24, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा कागज के नाव के समान है, जो अकेले ही तैरती है-निर्भय सागर

स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा कागज के नाव के समान है, जो अकेले ही तैरती है-निर्भय सागर

फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। प. पू. वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर महाराज एवं मुनि अमित सागर महाराज के ससंघ सानिध्य में श्री दिगम्बर जैन मन्दिर नसिया जी में निर्भमसागर दिगम्बर जैन पाठशाला परिषद के अंतर्गत संचालित समस्त पाठशालाओं का परीक्षाफल एवं पुस्तकालय वितरण का आयोजन किया गया।
आचार्य निर्भय सागर महाराज ने कहा कि जो पाठशाला पढ़ता है, वह भगवान, मुनि, आर्यिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति बडे-बडे अधिकारी बनते हैं। एक बेटा अपने पिता की उम्मीद, मां का स्वप्न होता है। स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा कागज के नाव के समान है, जो अकेले ही तैरती है, विदेशी शिक्षा पत्थर की नाव के समान है जो खुद भी डूबती है और दूसरो को भी डुबो देती है। जो पाठशाला में शिक्षा मिलती है वो लकड़ी की नाव के समान है, जो स्वयं भी तैरती है और दूसरो को भी तैरा देती है। पाठशाला, भक्त और भगवान को मिलाने का एक कुल है। पाठशाला एक बच्चों के लिए आदर्श क्लव है। पाठशाला एक चिक्तशालय है। पाठशाला एक भगवान, मुनियों को पैदा करने की एक पौधशाला है। पाठशाला पाप धोने की एक नदी है। आचार्यश्री के आशीर्वाद से वर्तमान में 60-70 पाठशायें चल रही है। जिसमें 2000 बच्चे, 250 शिक्षक और 200 संचालक कार्यरत है। बरहन, सिरसागंज, टूंडला एवं अन्य जगहों की सभी पाठशालाओं के भी शिक्षक, संचालक, बच्चे भी आये। पाठशाला के परीक्षण का पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का प्रारंभ बच्चों के द्वारा मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम का संचालन पीयूष जैन ने किया।
इस दौरान विनोद कुमार जैन मिलेनियम, राजेश जैन, चौधरी पंकज जैन, ललतेश जैन दुर्गेश, अजय जैन बजाज, ओम प्रकाश जैन, राहुल जैन सिटिजन, सोनल जैन, मुकेश जैन, मुकेश जैन, राजीव जैन आदि मौजूद रहे।