Saturday, November 23, 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ नहीं था लाइव!

2016-11-27-2sspjs-pankaj⇒दूरदर्शन के पत्रकार सत्येन्द्र मुरली का खुलासा
⇒पत्रकार का दावा पूर्व रिकाॅर्डेड और एडिट किया हुआ था संदेश, हैं पुख्ता सुबूत
⇒500 व 1000 के नोटबन्दी पर अचानक घोषणा वाला नाटक किया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने!
⇒पत्रकार ने कहा, मोदी ने संविधान व नियम-कानूनों को ताक पर रखकर देश की जनता को गुमराह किया
⇒भारतीय प्रेस क्लब में काॅन्फ्रेंस कर पत्रकार सत्येन्द्र मुरली ने किया बड़ा खुलासा गोपनीय नहीं था नोटबन्दी का फैसला, पत्रकार का दावा पुख्ता सबूत मौजूद

पंकज कुमार सिंह
नई दिल्ली/कानपुर। देशभर के तमाम चैनलों के जरिए आमजन को अचानक मिली पाॅंच सौ व एक हजार के नोटबन्दी की खबर ने देश-दुनियां में हलचल पैदा कर दी थी। इस खबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 8 नवंबर की रात 12 बजे से 500 और 1000 के नोट को प्रतिबन्धित करने की घोषणा की थी। दूरदर्शन के लाईव बैंड के साथ तमाम चैनल्स् ने इस खबर का प्रसाारण किया था। दरअसल यह घोषणा दूरदर्शन पर लाईव नहीं थी और ना ही प्रधानमंत्री मोदी सीधा प्रसाारण में घोषणा कर रहे थे। यह पहले से रिकाॅर्डेड और एडिटेड था। यह दावा भारतीय प्रेंस क्लब नई दिल्ली में अयोजित प्रेस कांफ्रेस के दौरान दूरदर्शन के जानेमाने पत्रकार सत्येन्द्र मुरली ने किया है। उन्होंने यह दावा भी किया है कि उक्त प्रकरण में उनके पास पुख्ता सबूत भी मौजूद है।
8 नवंबर की रात पीएम मोदी ने ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ देते हुए कहा था कि ‘‘आज मध्य रात्रि यानि 12 बजे से वर्तमान में जारी 500 और 1000 के नोट लीगल टेंडर नहीं रहेंगे यानि ये मुद्राएं कानूनन अमान्य होंगी।’’ प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा किए गए इस फैसले के बाद पूरे देश में एकाएक सनसनी पैदा कर दी थी। इस बाबत केंद्र सरकार की ओर से दावा किया गया था कि यह निर्णय पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था और इस निर्णय की घोषणा से पूर्व इसके बारे में सिर्फ प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री समेत भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के कुछ ही अधिकारियों को इसकी जानकारी थी।
दूरदर्शन के जानेमाने व चर्चित पत्रकार सत्येंद्र मुरली ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जो लाइव प्रसारण टीवी चैनल्स् ने दिखाया था वह कई दिन पहले रिकाॅर्ड किया जा चुका था। एक ओर जहां केंद्र सरकार ने इस बात का दावा किया है कि इस फैसले पर पूरी तरह से गोपनीय थी। तो दूसरी ओर पत्रकार सत्येन्द्र मुरली ने इसको नकारते हुए दावा किया है कि इस फैसले में गोपनीयता नहीं रखी
गई। भारतीय प्रेस क्लब में काॅन्फ्रेंस के दौरान वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नितिन मेश्राम अम्बेडकर विचार मंच के महासचिव एवं वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता आर एल कैन मौजूद रहे।
पत्रकार सत्येन्द्र मुरली का दावा-
नोटबंदी का एकतरफा निर्णय लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को बरगलाने के लिए अचानक घोषणा वाला नाटक किया है।
बिन्दुवार उन्होंने कहा है कि-
– 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लाइव नहीं था, बल्कि पूर्व रिकाॅर्डेड और एडिट किया हुआ था.
– इस भाषण को लाइव कहकर चलाया जाना न सिर्फ अनैतिक था, बल्कि देश की जनता के साथ धोखा भी था।
– 8 नवंबर 2016 को शाम 6 बजे आरबीआई का प्रस्ताव और शाम 7 बजे कैबिनेट को ब्रीफ किए जाने से कई दिनों पहले ही पीएम का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लिखा जा चुका था।
– मुद्रा के मामले में निर्णय लेने के रिजर्व बैंक के अधिकार का इस मामले में स्पष्ट तौर पर उल्लंघन किया गया है।
– इस बारे में सूचना का अधिकार ;आरटीआईद्ध के जरिए पूछे जाने पर (PMOIN/R/2016/53416) प्रधानमंत्री कार्यालय ने जवाब देने की जगह टालमटोल कर दिया और आवेदन को आर्थिक मामलों के विभाग और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को भेज दिया। आरटीआई ट्रांसफर का नंबर है। DOEAF/R/2016/80904  तथा MOIAB/R/2016/80180
– यह रिकाॅर्डिंग पीएमओ में हुई थी, लिहाजा इस बारे में जवाब देने का दायित्व पीएमओ का है.
पत्रकार सत्येन्द्र मुरली ने कहा है कि पीएम मोदी ने ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ को मीडिया में लाइव बैंड के साथ प्रसारित करने को कहा था, जिसे देश के तमाम चैनलों ने लाइव बैंड के साथ ही प्रसारित किया। पीएम मोदी ने देश की जनता को बरगलाने के लिए ऐसा दिखावा किया कि मानों उन्होंने अचानक ही रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित किया हो। यह अचानक घोषणा वाला नाटक इसलिए किया गया, ताकि देश की जनता को भरोसा हो जाए कि प्रधानमंत्री मोदी ने मामले को बेहद गोपनीय रखा है, लेकिन ऐसा हरगिज नहीं था।
पत्रकार का दावा है कि 8 नवंबर 2016 को शाम 6 बजे आरबीआई का प्रस्ताव और शाम 7 बजे कैबिनेट को ब्रीफ किए जाने से कई दिनों पहले ही पीएम का ‘राष्ट्र के नाम संदेश’ लिखा जा चुका था और इतना ही नहीं मोदी ने इस भाषण को पढ़कर पहले ही रिकाॅर्ड करवा लिया था।
उनका कहना है कि 8 नवंबर 2016 को शाम 6 बजे आरबीआई से प्रस्ताव मंगवा लेने के बाद, शाम 7 बजे मात्र दिखावे के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई गई, जिसे मोदी ने ब्रीफ किया. किसी मसले को ब्रीफ करना और उस पर गहन चर्चा करना, दोनों में स्पष्ट अंतर होता है। मोदी ने कैबिनेट बैठक में बिना किसी से चर्चा किए ही अपना एक तरफा निर्णय सुना दिया. यह वही निर्णय था जिसे पीएम मोदी पहले ही ले चुके थे और कैमरे में रिकाॅर्ड भी करवा चुके थे. ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा द गावर्नमेंट आॅफ इण्डिया ;ट्रांर्जेक्सन आॅफ बिज़नेसद्ध रूल्स 1961 एवं आरबीआई एक्ट 1934 की अनुपालना किस प्रकार की गई होगी? क्या इस मामले में राष्ट्रपति महोदय को सूचना दी गई?
सत्येन्द्र मुरली ने कहना है कि नोटबन्दी की घोषणा के दो दिन बाद यानी 10 नवंबर को बाजार में 2,000 रूपये का नोट आ गया और इसी के साथ केंद्र सरकार और आरबीआई द्वारा उच्च मूल्य के नोटों को बंद किए जाने के पीछे दिए गए उपरोक्त तर्क के साथ विरोधाभास पैदा हो गया है, क्योंकि केंद्र सरकार 500 रूपये और 1,000 रूपये से भी अधिक उच्च मूल्य का नोट यानि 2,000 रूपये का नोट लाई है। इतना ही नहीं, बाजार में 2,000 रूपये के जाली नोटों के अलावा जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों से नए नोट भी बरामद किए जा चुके हैं। इस घटना ने केंद्र सरकार के दावों को धक्का पहुंचाने का काम किया है और अब मोदी सरकार कटघरे में खड़ी है।
2,000 रूपये के नोट छापना भी सवालों मेंः पत्रकार सत्येन्द्र मुरली कहते है कि कि आरबीआई के पास 10 हजार रूपये तक के नोट छापने की अनुमति है। पूर्व में इसके अंतर्गत एक हजार रूपये से ऊपर सीधे 5,000 रूपये और 10,000 रूपये का ही नोट छापा जा सकता था, लेकिन वर्तमान में 2,000 रूपये के नोट की नई सीरीज गांधी की फोटो के साथ छापी गई है, तो जाहिर है कि इसकी अनुमति से संबंधित एक्जीक्यूटिव आॅर्डर, नोटिफिकेशन आदि जारी किए गए होंगे, लेकिन आज तक जनता इन संबंधित एक्जीक्यूटिव आॅर्डरों, नोटिफिकेशनों आदि को देखने में नाकाम रही है।
पत्रकार का कहना है मोदी द्वारा लिए गए एकतरफा, पक्षपाती, विरोधाभासी और संदेहास्पद मकसद वाले इस तानाशाही निर्णय की वैधानिकता को माननीय न्यायालय के समक्ष कानूनन चुनौती दी जा सकती है। पीएमओ को चाहिए कि वह आरटीआई के सवालों का सीधा जवाब देकर आरटीआई, डीवी 2005 का अनुपालना करे।
भारतीय प्रेस क्लब में काॅन्फ्रेंस के दौरान वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नितिन मेश्राम, अम्बेडकर विचार मंच के महासचिव एवं वरिष्ठ आरटीआई कार्यकर्ता आर एल कैन मौजूद रहे।
‘‘राष्ट्रहित व जनहित में मैं यह खुलासा कर रहा हूं। मेरे पास इस मसले के पुख्ता सुबूत हैं।’’
-पत्रकार सत्येन्द्र मुरली