Sunday, November 24, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » अस्पतालों में हिंसा व तोड़ फोड़ के लिए जिम्मेदार कौन ?

अस्पतालों में हिंसा व तोड़ फोड़ के लिए जिम्मेदार कौन ?

♦ आम जन को भी अस्पतालों व चिकित्सकों के प्रति अपनी सोंच बदलनी होगी
कानपुरः जन सामना संवाददाता। उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ सभी को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैय्या कराने के लिए प्रयासरत हैं। इसी लिये सरकार ने चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए दूरगामी योजना बनाई है। नगर के हैलट में सुपर स्पेशयालिटी अस्पताल की सुविधा का लाभ लोगों को मिलने लगा है। क्लीनकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रभावी होने के बाद निजी हॉस्पिटल व नर्सिंग होम पर कड़े मानकों व दिशा निर्देशों के माध्यम से प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैय्या कराने का खाका खींचा जा चुका है। गरीबों के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक सरकारी योजनाओं से लोग लाभन्वित हो रहें हैं। इन सबके बावजूद आए दिन सरकारी और निजी हॉस्पिटल में व नर्सिंग होम में मरीज़ों के इलाज व बिल की रकम के मुद्दों पर होने वाली हिंसा जहाँ एक ओर स्वास्थ्य विभाग की गरिमा को धूमिल कर रही हैं तो दूसरी ओर चिकित्सकों में भय व असुरक्षा की भावना भी घर कर रही है। चिकित्सक गंभीर मरीज़ों के इलाज के बजाये उन्हें हायर सेंटर रेफर करना ज्यादा बेहतर समझतें हैं। आम जन के हिंसक व आक्रामक व्यवहार के चलते अब चिकित्सक व पैरा मेडिकल स्टाफ स्वतंत्र रूप से अपनी सर्वाेत्तम सेवाएं नहीं दे पा रहें हैं, जिसका खामियाज़ा मरीज़ या उनके तिमारदारों को उठाना पड़ता है। वहीं मेडिकल एक्ट 2013 में अस्पतालों के कर्मचारियों या चिकित्सकों के साथ मार पीट या हिंसा की स्थिति में आरोपियों के प्रति सजा मिलने के कारण उसे बचाना मुश्किल हो रहा है।
हाल ही में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कानपुर नगर के पुलिस आयुक्त से मिल कर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट 2013 को प्रभावी बनाने की मांग की है। अब देखना है कि आईएमए का ये प्रयास कितना सार्थक सिद्ध होगा। आईएमए द्वारा पुलिस आयुक्त को दिए गए ज्ञापन में अस्पतालों में आए दिन होने वाली तोड़ फोड़ और चिकित्सकों व अन्य चिकित्सीय स्टाफ के साथ मारपीट और अभद्रता के लिए गहरा रोष जताया गया है। आईएमए के पदाधिकारियों का तर्क है कि जब एक्ट में हिंसा व मारपीट करने और चिकित्सीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के विरुद्ध सज़ा और जुर्माने का प्रावधान ज़रूर है लेकिन इस एक्ट के प्रति चिकित्सक व अस्पताल संचालक द्वारा संववेदनहीनता और एक्ट के प्रभावी रूप से लागू न होने के कारण हिंसा करने वाले अराजक तत्वों को बल मिलना स्वाभाविक है। – J. A. Khan.