मथुरा। विश्व टीबी दिवस 28 मार्च को मनाया जाएगा। इसकी थीम ‘‘हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं’’ रखी गई है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय कुमार वर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि टीबी की समय से पहचान हो जाने और इलाज करवाने से यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है। पिछले पांच वर्षों में जिले में 56510 टीबी मरीज ठीक हो चुके हैं। सरकारी तंत्र में टीबी की जांच और इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संजीव यादव ने बताया कि 2018 से 2023 तक 56510 टीबी के मरीज ठीक हुए हैं। जिले में 12989 टीबी मरीजों का वर्तमान समय में उपचार चल रहा है। डीटीओ ने बताया कि महिलाओं, एचआईवी पीड़ितों, मधुमेह के रोगियों, मलिन बस्तियों, धूल मिट्टी में काम करने वालों, कुपोषित बच्चों, धुम्रपान करने वालों और वायु प्रदूषण वाले वातावरण में लगातार रहने वाले लोगों पर टीबी का जोखिम कहीं अधिक है। डीटीओ ने बताया कि टीबी के इलाज के दौरान कुछ लोग बीच में ही दवा छोड़ देते हैं जिससे वह ड्रग रेसिस्टेंट टीबी के मरीज बन जाते हैं और ऐसे मरीजों के इलाज के दौरान जटिलताएं बढ़ जाती हैं। जन मरीजों की आर्थिक स्थिति कमजोर है उन्हें संभ्रांत लोगों और संस्थाओं द्वारा एडॉप्ट भी कराया जा रहा है ताकि अच्छे खानपान के साथ साथ मानसिक तौर पर खुद को मजबूत रखने में उनकी मदद की जा सके।
इन स्थानों पर होती है जांच
सीएमओ ने बताया कि जिले में 15 टीबी यूनिट, 38 डीएमसी और 135 आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर टीबी की माइक्रोस्कोपिक जांच की सुविधा उपलब्ध है। जिला क्षय रोग केंद्र मथुरा, जिला संयुक्त चिकित्सालय एवं टीबी सेनेटोरियम वृंदावन में सीबी नाट मशीन से जांच की सुविधा उपलब्ध है वहीं, गोवर्धन, छाता, फरह, बलदेव, राया और नौहझील में ट्रूनॉट मशीन के जरिये जांच की जाती है।