बिंदकी/फतेहपुर। एक अप्रैल से शुरू होने वाले मां ज्वाला जी देवी का महोत्सव एवं भव्य श्रृंगार विशाल भंडारे के साथ पांच अप्रैल को समाप्त होगा। निरंतर महोत्सव को भव्य और लोकप्रिय बनाने में जुटे कमेटी के सरल एवं सीधे स्वभाव के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह उर्फ बबलू अपने कुशल नेतृत्व के लिए नगर में विशेष चर्चाओं से विख्यात हैं, जिन्हें 12 वीं बार मेला कमेटी के अध्यक्ष पद पर कमेटी द्वारा मनोनीत किया गया। पांच दिवसीय होने वाले मां ज्वाला जी देवी के महोत्सव एवं भव्य श्रृंगार के बारे में एक मुलाकात के दौरान नगर के कवि एवं शिक्षक वेद प्रकाश मिश्र ने बताया कि चौत्रमास के कृष्णपक्ष की अष्टमी ही शीतलाष्टमी कहलाती है। उन्होंने बताया कि इसी दिन से देवी पूजन के कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हो जाता है। नवरात्र छोंडकर अन्य दिनों में देवी पूजन के कार्यक्रम केवल महिलाओं द्वारा ही संपन्न होते हैं। एक प्रकार से देवी पूजन पर महिलाओं का एकाधिकार होता है।
उन्होंने बताया कि शीतलाष्टमी के अवसर पर देवी मंदिरों में दिन में महिलाओं द्वारा देवीपूजन और रात्रि में पुरुषों द्वारा नौटंकी का आयोजन बड़े उत्साह के साथ करवाया जाता है। देवी भक्तों को विश्वास है कि नौटंकी अर्थात उसके नंगाड़े के बजने से ही देवी मां प्रसन्न होती है। उनके इस विश्वास को बल इस बात से मिलता है कि देवी मां पार्वती का प्रतिरूप होती हैं जिन्हे प्रसन्न करने के लिए भगवान शंकर नृत्य किया करते हैं। तभी महादेव को नटराज भी कहा जाता है। पार्वती अर्थात देवी मां की इसी नृत्य प्रियता के कारण देवी मां के समक्ष नृत्य और नौटंकी की परंपरा पड़ गई। बताया कि यह बात अलग है कि नौटंकी के स्वरूप और विषय वस्तु में तेजी से परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। नर्तकियों का स्थान बार-बालाएं लेती जा रही हैं। हरिश्चंद्र-तारामती जैसे कथानक कालातीत अर्थात विलुप्त हो चुके हैं, फिर भी आयोजक नौटंकी की परंपरा को बरकरार रखे हुए हैं जिसको सरल भाषा में कहा जा सकता है कि निभाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि छेदन, मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह तथा अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में देवी पूजन के साथ-साथ देवी जी के सामने महिलाओं का नृत्य करना चाहे वह पांच ही मिनट का क्यों न हो, लगभग अनिवार्य सा होता है। क्योंकि मान्यता के अनुसार देवी जी नृत्य से प्रसन्न होती हैं और उनकी प्रसन्नता ही कार्यक्रम को मंगलमय बनाती है। यही उनकी कृपा और आशीर्वाद बन जाती है। जनपद के अन्य मंदिरों के साथ नगर बिंदकी के मोहल्ला पुरानी बिंदकी में स्थित ज्वाला जी मंदिर और मोहल्ला जहानपुर में स्थित काली जी मंदिरों में नौटंकी की परंपरा का निर्वहन अब भी देवी की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए हो रहा है, जिनकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं वे भी नृत्य या नौटंकी के कार्यक्रम का आयोजन व्यक्तिगत स्तर पर किया करते हैं।
मेला कमेटी अध्यक्ष जितेंद्र सिंह चंदेल उर्फ बबलू से जब मुलाकात हुई तो उन्होंने बताया कि सप्तमी होलिका दहन एक अप्रैल दिन सोमवार को किया जाएगा जिसके बाद अष्टमी पूजन दो अप्रैल दिन मंगलवार, नवमी पूजन तीन अप्रैल दिन बुधवार जिसमें अष्टमी और नवमी को सांस्कृतिक कार्यक्रम रात्रि 8 बजे से मशहूर कलाकारों के माध्यम से किया जाएगा। वहीं चार अप्रैल दिन गुरुवार को जागरण तथा पांच अप्रैल दिन शुक्रवार को विशाल भंडारे के साथ हमारे संरक्षक मंडल के राजू दीक्षित, शिवकरन सिंह, सुशील लोहिया, केशव कुमार पांडेय, विमल शर्मा, राजोली गुप्ता, नमित शुक्ला और शीलू सिंह तथा उपाध्यक्ष भरत सिंह गौतम, कोषाध्यक्ष सिद्धार्थ सिंह चौहान, महामंत्री सीताराम कपाड़िया और मीडिया प्रभारी सोनू सैनी के साथ वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रदीप सिंह, मान सिंह, अवशेष सिंह उर्फ क्रोधी तथा कार्यकारणी सदस्यों के सहयोग से समापन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार मां के दरबार को नए रूप में रंगबिरंगे फूलों और रोशनी झालरों से जगमग करवाया जाएगा तथा गांधी चौराहे तक पूर्व की भांति रोशनी से जगमग किया जाएगा ताकि भक्तों को रात्रि में आने-जाने के लिए कोई भी असुविधा उत्पन्न न हो सके। इस मौके पर जीतू सैनी, राहुल सिंह चौहान, मोनू सैनी, रोहित सिंह चौहान, अतुल सिंह चंदेल, सुशील सैनी, अमित सिंह चंदेल उर्फ बप्पा जी, लकी सिंह चंदेल, संदीप शुक्ला, शंकर, राघव दीक्षित, लल्लू शर्मा, गोलू सिंह चंदेल, अमित सिंह गौतम, आदर्श चौहान, वारिश खान आदि कार्यकर्तागण मौजूद रहे।
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