ऊंचाहार, रायबरेली। शुक्रवार को शिवमंगल मौर्य इंटर कॉलेज में राष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव संपन्न हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। महोत्सव का शुभारंभ मुख्य अतिथि जयसिंह, आयोजक डॉ. आरपी मौर्य एवं बौद्धभिक्षु भंते शीलरत्न ने सामूहिक रूप से तथागत बुद्ध के चित्र के समक्ष मोमबत्ती जलाकर और पुष्प अर्पित कर किया। इसके पश्चात बौद्ध भिक्षुओं ने बुद्धम् शरणम् गच्छामि, धम्मम् शरणम् गच्छामि का उद्घोष किया। इससे पूरा पंडाल व विद्यालय प्रांगण बौद्ध मय हो उठा। महोत्सव को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि जयसिंह मौर्य ने कहा कि भगवान बुद्ध ने पूरी दुनिया को सत्य, अहिंसा, मैत्री व मानवता का संदेश दिया है। ढाई हजार साल बाद भी आज बुद्ध के विचार प्रासंगिक हैं। मुख्य वक्ता डॉ. सच्चिदानंद मौर्य ने कहा कि बैसाख पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे त्रिगुणी तिथि कहा गया है। क्योंकि इसी तिथि को गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी में, ज्ञान बौद्ध गया में तथा इसी तिथि को कुशीनगर में बुद्ध ने निर्वाण प्राप्त किया था। केपी राहुल ने बताया कि चीन, कोरिया, जापान समेत कई देशों ने उनके मार्ग को अपनाकर विश्व में अपना परचम लहराया है। आज हमें भी उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत है। डॉ. केडी सिंह ने कहा कि भगवान बुद्ध ने अंधविश्वास व सामाजिक कुरीतियों को छोड़कर सत्य और यथार्थ के मार्ग पर चलने का जो सिद्धांत बताया है। उसको आत्मसात कर समाज में व्याप्त रूढ़िवादी व अंधविश्वासी बातों से छुटकारा पाया जा सकता है। जो मानव के विकास में बड़ी बाधा है। डॉ. सुनील दत्त ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बिना शिक्षा के ज्ञान प्राप्त नहीं होता है। सभी को बालक बालकों की शिक्षा पर ध्यान देना जरूरी है। बुद्ध ने कहा था पहले जानो तब मानो। वैज्ञानिक सोच से ही समाज उन्नति के शिखर पर पहुंच सकता है। इस अवसर पर भंते धम्म प्रकाश, भंते शीलरत्न, संत सत्यानन्द त्यागी, रमेश मौर्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान आयोजित भोजन दान का बड़ी संख्या में लोगों ने आनंद उठाया।
आयोजक वरिष्ठ चिकित्सक एवं कालेज के प्रबंधक डॉ. आरपी मौर्य ने अतिथियों व अभ्यागतों के प्रति आभार जताया। उन्होंने बताया कि इस राष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव का आयोजन पिछले 13 वर्षों से लगातार हो रहा है। अलबत्ता कोविड-19 के कारण उस वर्ष महोत्सव को स्थगित किया गया था।