मथुराः जन सामना संवाददाता। चुनाव जीतने के लिए मां यमुना से आशीर्वाद लेने के लिए बस आये। किसी ने नामांकन से पहले यमुना पूजन किया तो किसी प्रचार अभियान शुरू करने से पहले दुग्धाभिषेक किया। एक दो बार नहीं बल्कि बार-बार और वर्षों से यह क्रम जारी है। चुनाव जीतने के बाद प्रत्याशी से माननीय हुए नेता जी यह कहना नहीं भूलते कि वह मां यमुना के आशीर्वाद से चुनाव जीते हैं। हालांकि इसके बाद न उन्हें यमुना की याद रहती है न अपने वादों की। पंडित अमित भारद्वाज कहते हैं कि नेता, मंत्री, सभी धर्म व सनातन का अलाप अलाप रहे हैं। दूसरी ओर धर्म नगरी में यमुना की करुण पुकार उनको सुनाई नहीं दे रही। करोड़ों की धनराशि का बंटरबाट हो गया लेकिन यमुना जल की स्थिति दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। राजनैतिक लाभ के लिए धर्म की आड़ लेने वाले दलों को यमुना की चिंता नहीं। उन्होंने यमुना प्रदूषण की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को भी लिखा है। अमित कहते हैं कि सोमवार को जब वह घाटों पर पहुंचे ते प्रदूषण की को देखकर दुखी हो गये। एक तरफ यमुना में क्रूज चलाया जा रहा है दूसरी और प्रदूषण ऐसा कि लोग यमुना जल में हाथ डालने से भी कतराते हैं।