शायद आपको याद होगा कि कृषि के सम्बन्ध में बनाये गये काले कानूनों व फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए बनाये गये कानूनों सहित अन्य कई मांगों को लेकर विरोध करने वाले देश के आन्दोलनकारी किसानों को रोकने के लिये नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली की सीमावर्ती सभी सड़कों पर खतरनाक कीलें, कंटीले तार, कई लेयर की पक्की बैरिकेडिंग लगवा दीं थी। इसके साथ ही कई सड़कों को खुदवा दिया गया था और कई सड़कों पर पक्की दीवारें तक खड़ी करवा दीं थीं। सुरक्षा बलों के जवानों की तैनाती भारी संख्या में की गई थी। समय-समय पर लाठी चार्ज किया गया था और बर्बरता की सारी हदें ‘मोदी’ ने पार करवा दीं थीं। उस समय ‘मोदी की मंशा’ थी कि किसी भी कीमत पर देश के आन्दोलनकारी किसान, दिल्ली में ना घुसने पावें।
उस समय ऐसे नजारे देखने को मिले थे, जैसे कोई दुश्मन देश, दिल्ली पर हमला करने वाला था और उसी हमले को रोकने की तैयारी की गई थी। उस समय 6 लेयर की बैरिकेडिंग लगाई गई थी। इसके अलावा किसानों को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से अस्थाई जेलों को भी तैयार करवा दिया था। कई क्षेत्रों को छावनी में तब्दील करवा दिया था।
इस तैयारी के चलते ‘मोदी’ उस समय सफल भी हुये और पंजाब, हरियाणा सहित देश के अनेक राज्यों के किसानों को महीनों तक कठिन समय में भी अनेक कठिनाइयों का दर्द झेलना पड़ा था। अनेक किसानों ने अपनी जान भी गंवाई थी। समय गुजरा और जैसे ही देश के लोगों को अवसर (लोकसभा सामान्य निर्वाचन-2024) मिला तो देश के किसानों की बद्दुआओं का असर देखने को मिला। हालांकि सिर्फ किसानों की समस्यायें ही नहीं रहीं बल्कि देश के मूलभूत अनेक मुद्दे रहे जिनके सामने ‘लोक सभा चुनाव’ में मोदी का कोई भी ‘जुमला’ असरकारक नहीं दिखा और परिणाम सामने यह है कि उनकी पार्टी (भाजपा) बहुमत का आँकड़ा तक नहीं छू सकी। अब मोदी को अनेक कदमों पर समझौता करना पड़ेगा और बैसाखियों के सहारे सत्ता का सफर तय करना पड़ेगा। वहीं कटु भले ही लगे लेकिन सच यह भी है कि देश के किसानों की राह में कीलें-काँटे गाड़ने वाले ‘मोदी’ की राह में अब कदम-कदम पर काँटे ही काँटे आ गये हैं और ना दिखने वाले काँटों का दर्द, ‘मोदी’ को अब हर कदम पर सहना पड़ेगा।
-श्याम सिंह पंवार