लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक अरब बीस करोड़ रूपये की साइबर ठगी का मामला समाने आया है। अपराधियों के एक गिरोह ने फर्जी बैंक अफसर बनकर एफडी करवाने के नाम पर अब्दुल कलाम टेक्नीकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) के 120 करोड़ रूपये पार कर दिए। बैंक मैनेजर की और से दर्ज कराई गई रिपोर्ट के बाद पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 119 करोड़ की रिकवरी करवाकर एकेटीयू के खाते में वापस कराई गई शहर की यह अब तक की सबसे बड़ी साइबर ठगी है, लेकिन इस ठगी पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। खासकर लखनऊ के यूनियन बैंक और अहमदाबाद के इंडसइंड बैंक पर उंगली उठ रही हैं। यूनियन बैंक ने जालसाजों को चेकबुक जारी करने में तो नियमों की तो अनदेखी की ही एक ही दिन में ऑनलाइन ट्राजेक्शन के माध्यम से पैसा भी ट्रासर्फर कर दिया, वहीं चौकानें वाली बात यह रही कि जालसाजों के बैंक खाते को फ्रीज कराने के लिये साइबर क्राइम थाने की पुलिस टीम को अहमदाबाद में काफी मशक्कत करनी पड़ी। जालसाजों ने एकेटीयू के खाते से निकाले गये 120 करोड़ रूपये में से सौ करोड़ रूपये अहमदाबाद के इंडसइंड बैंक की शाखा के खातों में भेजे थे। साइबर थाना प्रभारी ब्रजेश कुमार ने कहा जब उन्होंने अहमदाबाद पहुंच कर बैंक मैनेजर से खाते सीज करने को कहा तो उन्होंने खाते फ्रीज करने से मना कर दिया। मैनेजर ने कहा कि इतनी बढ़ी रकम बैंक को मिली है,इसलिये वह खाता सीज नहीं करेंगे। इसमें से एक खाता श्री श्रद्धा एजूकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का था।
बहरहाल, डीसीपी पूर्वी प्रबल प्रताप सिंह के मुताबिक फर्जी ईमेल और अथॉरिटी लेटर का इस्तेमाल कर एकेटीयू प्रशासन को एफडी कराने के नाम पर झांसा दिया गया। यूनियन बैंक की बाबू भवन शाखा के मैनेजर अनुज सक्सेना की तहरीर पर साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज की गई। जांच में पता चला कि रकम गुजरात की श्री श्रद्धा एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के खाते में ट्रांसफर की गई है। मामले में सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी ने बस्ती निवासी मास्टरमांइड अनुराग श्रीवास्तव के साथ मिलकर ठगी को अंजाम दिया। अनुराग और व साथी कपिल की तलाश अभी जारी है। गिरफ्तार किये गये आरोपियों में गिरीश चंद्र (एलडीए कॉलोनी, आशियाना लखनऊ), फार्मासिस्ट शैलेश कुमार रघुवंशी (महानगर लखनऊ ), देवेंद्र प्रभाशंकर जोशी (सूरत गुजरात), कृष्णकांत (अमहट बस्ती ), दस्तगीर आलम (मुसाफिरखाना अमेठी), उदय पटेल (अहमदाबाद गुजरात), राजेश बाबू हसनगंज, उन्नाव शामिल हैं।
साइबर क्राइम थाने के इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव ने बताया कि गिरोह के मास्टरमाइंड अनुराग श्रीवास्तव ने यूनियन बैंक कर मैनेजर अनुज कुमार सक्सेना बनकर एकेटीयू के अफसरों को एफडी कराने के राजी किया। फिर यूनियन बैंक के नाम से बनाई फर्जी ई-मेल आईडी के जरिये एफडी संबंधी डिटेल भेजी। एकेटीयू ने एफडी के लिए बैंक के पूल खाते में 120 करोड़ रूपये ट्रांसफर कर दिए। इस बीच अनुराग ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एकेटीयू के नाम पर शेयरिंग खाता यूनियन बैंक में खुलवा लिया। फिर एकेटीयू के फाइनेंस ऑफिसर के नाम से फर्जी ई-मेल बनाकर बैंक को मेल भेजकर कहा कि यह रकम विवि के शेयरिंग खाते में ट्रांसफर कर दी जाए। बैंक के रकम ट्रांसफर करते ही अनुराग ने एक क्लिक से 100 करोड़ रूपये गुजरात के श्री श्रद्धा एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के खाते में भेज दिए। इस पर बैंक मैनेजर को शक हुआ तो उन्होंने खाता सीज कर एफआईआर दर्ज कराई।