Sunday, November 24, 2024
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दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन

फिरोजाबाद। दाऊदयाल महाविद्यालय में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार एवं दाऊदयाल शिक्षण संस्थान के सहयोग से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सास्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हो गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना से किया। तत्पश्चात संगोष्ठी के सफल आयोजन हेतु लखनऊ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेश को मंच से प्रो. प्रीति अग्रवाल ने पढ़ा। इसी के साथ मंचासीन मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश सरकार एवं दाऊदयाल महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी की प्रोसीडिंग पुस्तक का विमोचन किया गया। तकनीकी सत्र का आगाज करते हुए संगोष्ठी की सह आयोजन सचिव प्रो. रंजना राजपूत ने सेमिनार के विषय उप-विषयों का उल्लेख करते हुए शोध-पत्र वाचन के दौरान वक्ताओं को नियमों से भी परिचित कराया। बीज वक्ता के रूप में उपस्थित ’विषय विशेषज्ञ साहित्य शिरोमणि डॉ रामसनेही लाल शर्मा यायावर ने संगोष्ठी के विषय से संबंधित फिरोजाबाद जनपद की ऐतिहासिकता की पृष्ठभूमि पर आधारित हिन्दी साहित्यकारों एवं उनके साहित्य पर विस्तृत प्रकाश डाला। प्रोफेसर (डॉ) अनिल कुमार पांडे (छत्तीसगढ़), प्रोफेसर दिनेश नारायण (पश्चिम बंगाल), श्रवण कुमार, हिमांशु शेखर (भागलपुर), प्रो. नीलम सिंह, प्रो. प्रियदर्शिनी उपाध्याय, डॉ गीता यादवेन्दु, सुधीर कुमार सिंह आदि वक्ताओं ने संगोष्ठी के विविध विषय, उप-विषयों पर अवलोकन करते हुए अपने उद्बोधन में भारत की वैज्ञानिक पद्धति को लेकर ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर उद्देश्य पूर्ण एवं सारगर्भित विवेचना की गई। तकनीकी सत्र में लगभग 49 शोध पत्र पड़े गए। प्रो. गीता माहेश्वरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि-समाज के कुछ परिवारों में रीत रिवाज परंपराएं आज भी जीवित हैं जो वैज्ञानिक दृष्टि से मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। सभ्यता और संस्कृति में समकालीन बोध को आधार बनाकर तथा वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को उजागर करते हुए विषय विशेषज्ञ प्रो. युवराज सिंह ने कहा कि वास्तव में सांस्कृतिक स्वरूप को सुरक्षित रखने में साहित्य, संगीत और कला का अपना विशिष्ट महत्व है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रो. सुभद्रा कुमार सत्संगी ने अपने अध्यक्षीय संभाषण में वर्तमान युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए ’भारत की ऐतिहासिक परंपरा में लोक-संगीत को लक्ष्य करते हुए सांस्कृतिक मूल्यों का महत्व एवं उनकी उपयोगिता’ विषय पर सभागार में उपस्थित जन-समुदाय का मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ निधि गुप्ता ने किया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. निशा अग्रवाल ने सभागार में उपस्थित देश-विदेश के जाने-माने शिक्षाविद, साहित्यकार, इतिहासकार, समाजसेवी, उद्योगपति, शोधार्थियों एवं शिक्षक समुदाय का हार्दिक धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम की सफलता पर हर्ष प्रकट किया। इस अवसर पर सचिव समीर शर्मा, सीओओ डॉ विजय कुमार शर्मा, आयोजन सचिव प्रोफेसर विनीता यादव, प्रो. विनीता गुप्ता, प्रो. प्रेमलता, डॉ छाया बाजपेई, डॉ रूमा चटर्जी, डॉ माधवी सिंह, डॉ अंजू गोयल, डॉ शालिनी सिंह, डॉ ज्योति अग्रवाल आदि मौजूद रहे।