सासनी, हाथरस, ब्यूरो। हमारे धर्म और संस्कृति में जो स्थान विद्या, व्रत, ब्रह्मचर्य, ब्राह्मण, गाय, देव, मंदिर, गंगा, गायत्री एवं गीता-रामायण आदि धर्म-ग्रन्थ इन सब को दिया गया है, वेसे ही वृक्षों को भी महत्व दिया गया है। यह महत्व उन्हें उनके द्वारा प्राप्त होने वाले लाभों को देखते हुए ही दिया गया है। जो मनुष्य वृक्ष लगाता है वह वृक्ष परलोक में उनके पुत्र होकर जन्म लेते है।
यह विचार मंगलवार को वैदिक ज्योतिष संस्थान अलीगढ के आचार्य डॉ ब्रजेश शास्त्री ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय में वृक्षारोपड़ कार्यक्रम के दौरान कहीं। शास्त्री जी ने रुद्राक्ष के वृक्ष को लगाते हुए कहा कि रुद्राक्ष का वृक्ष अति दुर्लभ वृक्ष है, ये भगवान शिव के सती वियोग विरह में बहे आंशुओ से उत्पन्न शिव का प्रिय वृक्ष है। शहर और उसके आस पास विभिन्न स्थानों पर रुद्राक्ष के वृक्ष लगाये जायेंगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंडलायुक्त सुभाष चन्द्र शर्मा ने कहा कि वृक्ष न होते तो यह धरती भी एक उजड़ी एवं सुनसान स्थिति में रही होती। यहाँ सर्वत्र उदासी ही दिखाई देती और उसका प्रभाव लोगो की मानसिक स्थिति पर भी पड़े बिना नही रहता। पहले लोग धार्मिक एवं आध्यात्मिक शान्ति के लिए वृक्ष लगाया करते थे, वह लाभ तो अब भी सुरक्षित और सुनिश्चित है वृक्षारोपण का सही मूल्यांकन तो तभी किया जा सकता है, जब स्वयं भी कुछ वृक्ष लगाकर देखे। वहीं कार्यक्रम के अतिथि नगरायुक्त संतोष शर्मा ने कहा की सतयुग में भगवान शंकर ने देव मनुष्य की रक्षा के लिए विष का प्याला उठाकर उसे स्वयं पी लिया था। संभव है सतयुग में कोई घटना हुई हो पर घटना तो हम आज भी देख रहे है की वृक्ष निर्जीव होते हुए भी किस प्रकार मनुष्य के हिस्से में पड़े विष को पीते रहते है और उन्हें प्राण दान देते है। ऋषियों ने कहा है की मनुष्य की आयु वृक्षों की .पा पर आधारित है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा० याचना शर्मा ने कहा कि चिकित्सालय में वृक्षारोपड़ कर वैदिक ज्योतिष संस्थान ने तमाम बीमारियों से ग्रसित मरीजों को देव स्वरूप रुद्राक्ष एवं कदम के द्वारा छोड़ी गयी आक्सीजन गैस उसी प्रकार लाभान्वित करेगी जैसे इन वृक्षों से उत्पन्न औषधिया करती हैं। इस दौरान आचार्य गौरव शास्त्री,ऋषि शास्त्री, मधुर शास्त्री, रवि शास्त्री आदि ने वेद मंत्रोच्चारण किया। इस अवसर पर सुशीला शर्मा, हिमांशु शर्मा, डा० योगेन्द्र सक्सेना, डॉ एस एन दास, रीता आर्थव, डा पवन कुमार वार्ष्णेय, संजय नवरत्न, महेंद्र सिंह, देवेन्द्र सिंह, कपिल शास्त्री, गणेश वार्ष्णेय, नीरज शर्मा, रजनीश वार्ष्णेय, वैभव शास्त्री आदि मौजूद रहे।