हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों के नतीजे आ चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के बाद यह पहला चुनाव था जिसमें विपक्ष खासकर कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा और वह आत्मविश्वास से लबरेज थी। इस बार भी कांग्रेस का चुनाव प्रचार आक्रामक था और उसके निशाने पर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी थे।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के बाकी नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी के साथ मोदी को घेरने के लिये तरह तरह की धारणाएं बनाने की कोशिश की और ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई जैसे मोदी की लोकप्रियता ढलान पर है।
हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की लगातार तीसरी बार स्पष्ट बहुमत के साथ विधानसभा चुनाव जीत गई। भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिये ये चुनाव वर्चस्व की लड़ाई थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन पहले की अपेक्षा कमजोर रहा था और उसने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के बाकी घटक दलों के बल पर केन्द्र में सरकार बनाई है।
राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी पर लगातार निशाना साध रहे थे। इस चुनाव से पहले अपनी अमरीका यात्रा में भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ आपपत्तिजनक टिप्पणियां की और देश की राजनीतिक दिशा दशा को लोकतंत्र विरोधी करार देने के लिये अनेक दलीलें दी। नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी ने परदेस में देश का गौरव और गरिमा कम करने की उन्होंने जो कोशिशें कीं, निश्चित रूपय से उनका मकसद खुद को स्थापित करने की कोशिश करना था जिसके लिये वह आलोचना के पात्र बने।
हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी की शानदार जीत के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय साजिशें रची जा रही हैं। मोदी ने कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगियों पर इन साजिशों में शामिल होने का गंभीर आरोप लगाया। मोदी का दावा देश के लिये गंभीर चिंता का विषय है, खासकर पिछले दिनों पडोसी देश बंगलादेश में जिस तरह से विदेशी ताकतों की शह पर अराजकता फैलाकर तख्तापलट किया गया वह किसी भी शांतिप्रिय देश के लिये खतरे की घंटी है।
बहरहाल इन चुनावों ने मोदी की नीतियों की पुष्टि की है जिसे लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सवाल खड़े करते रहे हैं। खुद कांग्रेस एक बार फिर अपने अहम की शिकार हो गई। हरियाणा में उसने इंडिया गठबंधन के किसी भी सहयोगी दल को तवज्जो नहीं दी। उसने समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी को अपने पास फटकने नहीं दिया। उसका यह आचरण गठबंधन के राजनीतिक धर्म के निर्वहन के खिलाफ है। कुछ सीटों पर वह मामूली अंतर से हारी जिसे राजनीतिक सूझ बूझ से टाला जा सकता था। इंडिया गठबंधन के घटक दलों शिव सेना उद्धव ठाकरे, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के इस रवैये की आलोचना की है।
हरियाणा में कांग्रेस में अंदरूनी कलह था और जनता ने इसे भांप लिया था। कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा को भुपिंदर हुड्डा के गुट ने दरकिनार कर दिया और दलित वोटों को छिटकने दिया गया। राहुल गांधी ने दोनो नेताओं को एक मंच पर लाने में बहुत देर कर दी और कांग्रेस पहले से बंटे हुये जाट वोट से जीत का भरोसा कर बैठी। अब खुद कांग्रेस मान रही है कि उसने जीती हुई बाजी गंवा दी। फिर हिमाचल प्रदेश का खजाना खाली होना और पिछले चुनाव में बढ़-चढ ़कर दी गई गारंटियों का पूरा नहीं होना भी कांग्रेस के लिये घातक साबित हुआ।
इन चुनावों में विकास और गारंटी की राजनीति को जनता के विश्वास की कसौटी पर एक बार फिर परखा गया। राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावों में मोदी की गारंटी कांग्रेस की गारंटी पर भारी पड़ी थी और भाजपा ने हैरतंगेज जीत दर्ज की थी। हरियाणा की जीत भी ऐसी ही है और भाजपा विकास और गारंटी की राजनीति में अपनी पकड मजबूत करने में सफल रही है। जनता का यह भरोसा हासिल करना कि भाजपा अपनी गारंटी को लेकर गंभीर है और वह जो कहेगी उसे पूरा करेगी उसकी भविष्य की राजनीति की राह आसान करेगी।
-कविता पंत, वरिष्ठ पत्रकार