Sunday, November 24, 2024
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विवाद की राजनीति में फंसते जा रहे हैं अरविंद केजरीवाल

कविता पंतः नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के दांव ने दिल्ली की राजनीति में हलचल पैदा कर थी, लेकिन अब वह मुख्यमंत्री आवास को लेकर नये विवाद में फंस गए हैं।
अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी को फिर से मौका दे दिया है और ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री आवास खाली करने के मामले में मुख्यमंत्री आतिशी भी फंस गई है। विवादों के बीच उन्हें अब मुख्यमंत्री आवास आवंटित कर दिया गया है लेकिन उसके साथ जो शर्तें लगाई गई हैं वह केजरीवाल के मुसीबत बनी रहेगी।
मुख्यमंत्री आवास खाली करने का अरविंद केजरीवाल का बयान आने के बाद पहले तो आप के सांसद संजय सिंह ने कहा था कि उनके नेता के लिए मुख्यमंत्री पद और सरकारी आवास जैसी चीजें मायने नहीं रखतीं। वह तो कहीं भी रह लेंगे। फिर ये भी बताया गया कि दिल्ली के बहुत सारे लोगों ने उनको अपने यहां रहने का ऑफर दिया है। फिर पार्टी के नेता ये दलील देकर उनके लिए सरकारी बंगले की मांग करने लगे कि आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी है।
अरविंद केजरीवाल ने अपना सरकारी आवास खाली कर दिया और अपनी ही पार्टी के पंजाब के एक सांसद के बंगले में शिफ्ट भी हो गये तो ऐसा लगा कि सब ठीक से हो गया लेकिन तभी नया विवाद शुरू हो गया।
भाजपा नेताओं ने दावा किया कि अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री आवास छोड़ा जरूर है लेकिन कब्जा नहीं। चाबी अपने पास रख लेने का भी अरविंद केजरीवाल पर बीजेपी नेता आरोप लगाने लगे।
एक वीडियो सामने जरूर आया था, जिसमें आप नेता की पत्नी सुनीता केजरीवाल को चाबी एक अधिकारी को सौंपते हुए देखा गया। लेकिन बाद में उसी अधिकारी ने बताया कि थोड़ी देर बाद सुनीता केजरीवाल ने चाबी वापस ले ली।
अरविंद केजरीवाल को समझना चाहिये कि वो कि वे मुख्यमंत्री किसे बनाना है, ये जरूर तय कर सकते हैं लेकिन उप राज्यपाल की तरफ से नियुक्त मुख्यमंत्री को कहां रहना है, ये तो तय नहीं कर सकते।
बस इसी चूक ने भाजपा को केजरीवाल को घेरने का नया मौका दे दिया। अब आप ने उप राज्यपाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने भाजपा के इशारे पर दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी से सिविल लाइंस स्थित 6, फ्लैगस्टाफ रोड बंगले को श्जबरन खालीश् करवाया है। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले इसी बंगले में रहते थे। वहीं, बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अरविंद केजरीवाल ने बंगला छोड़ने के बाद इसका हैंडओवर पीडब्ल्यूडी को नहीं दिया और आतिशी बिना अलॉटमेंट के ही इसमें रहने आ गईं।
विवादों के बीच अब आतिशी को अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री आवास आवंटित कर दिया गया है लेकिन इसके साथ शर्तें भी लगा दी गई है। पीडब्ल्यूडी के आवंटन निदेशक की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि दिल्ली प्रशासन सरकारी आवास आवंटन (सामान्य पूल) नियम, 1977 के प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री आतिशी को आवास आवंटित किया गया है। मुख्यमंत्री को आठ दिनों के भीतर इस कार्यालय में पासपोर्ट आकार की सत्यापित पारिवारिक फोटो देनी होगी।
तय समय में कब्जा लेने में विफल रहने की स्थिति में, आवंटन को रद्द माना जाएगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री आवास को लेने के 15 दिनों के भीतर दूसरा आवास खाली करना होगा। मुख्यमंत्री आवास विभिन्न उल्लंघनों के लिए सीबीआई व अन्य जांच एजेंसियों के अधीन है। ऐसे में मुख्यमंत्री को जांच में पूरा सहयोग करना होगा।