Saturday, November 23, 2024
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डॉ0 हिमांशु पाठक, महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किया केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान का भ्रमण

श्याम बिहारी भार्गवः मथुरा। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम में डॉ0 हिमांशु पाठक, महानिदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं सचिव डेयर, नई दिल्ली का आगमन हुआ।
महानिदेशक द्वारा जमुनापारी शेड पर स्थित नवनिर्मित बक स्टेशन का उद्घाटन किया गया उसके उपरांत संस्थान की विभिन्न बकरी एवं भेड़ परियोजनाओं का भी भ्रमण किया गया और बकरी व भेड़ की विभिन्न प्रकार की नस्लों एवं उनके रखरखाव पर चर्चा की।
संस्थान भ्रमण के उपरांत कार्यक्रम की शुरुआत माननीय महानिदेशक की संस्थान के वैज्ञानिकगण, अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ गोष्ठी से हुई।
संस्थान निदेशक डॉ0 मनीष कुमार चेटली द्वारा मंच पर महानिदेशक एवं विशिष्ट अतिथि डॉ0 संजीव गुप्ता, सहायक महानिदेशक, डॉ0 पी0 के0 राय, निदेशक सरसों अनुसंधान संस्थान, भरतपुर, डॉ0 विनय भारद्वाज, निदेशक एन.आर.सी ऑन सीड एवं स्पाइसी, अजमेर का पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर एवं पटका पहनाकर स्वागत किया गया एवं बकरी की विश्व में तथा भारत में गरीबी उन्मूलन, आजीविका सृजन में योगदान की चर्चा की।
संस्थान निदेशक ने संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों एवं प्रसार गतिविधियों के बारे सभा में उपस्थित सभी लोगों को अवगत कराया, इसके अतिरिक्त निदेशक द्वारा संस्थान में चल रही विभिन्न शोध एवं अनुसंधान परियोजनाओं जैसे वैक्सीन किट, हर्बल प्रोडक्ट, तकनीकी स्थानांतरण, जीन एडिटिंग एवं कासा के उपयोग पर विस्तृत चर्चा की और किसान एवं बकरी पालकों के लिए उनके उपयोग के बारे में बताया। संस्थान द्वारा किसानों की आय को बढ़ाने के साथ-साथ अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों एवं महिला किसानों के विकास एवं सशक्तिकरण के लिए परियोजना एवं कार्यक्रम चलाए गये है। संस्थान ने बकरी की नई नस्लों के विकास, रोग प्रबंधन, आहार सुधार और प्रजनन तकनीकों में उल्लेखनीय प्रगति की है।
महानिदेशक ने कहा कि वे संस्थान द्वारा किये जा रहे शोध कार्यों एवं किसानों एवं बकरी पालकों के विकास में संस्थान की भूमिका की प्रशंसा करते है। उन्होंने कहा, बकरी पालन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और यह देश के आर्थिक विकास में भी योगदान देता है। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सराहना की और कहा कि उनकी मेहनत और समर्पण से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी पालन की तकनीकियों में सुधार हो रहा है।