Sunday, November 24, 2024
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जीएसटीः भूखे पेट कैसे हो क्रान्ति

2017.09.16.02. SSP.GSTजीएसटी की तकनीकी समस्याओं से निपटने वालों को नहीं मिल रही तनख्वाह
कम सुविधाओं के साथ अव्यवस्थाओं के बीच तकनीकी जानकार मुसीबत झेलने को मजबूर
रवि राठौर-
कानपुर। देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू हुए ढाई माहीने से अधिक समय बीत गया है। लेकिन जीएसटी में लगातार तकनीकी समस्याएं सामने आ रही हैं। इन तकनीकी समस्याओं से विभागीय सरकारी लोगों के साथ व्यापारी वर्ग बेहद परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इन समस्याओं को लेकर कई राज्यों के माननीय हाईकोर्ट में याचिका तक दाखिल की गई है जिसमें कोर्ट ने सरकार सके जवाब मांगा है। लेकिन इसी बीच यह जानकर आपको हैरानी होगी कि तकनीकी तौर पर जीएसटी को स्थापित कराने में जो सिस्टम इंटीग्रेटर इंजीनियर्स तैनात किए गए है उन्हें महीने पर वेतन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में आर्थिक परेशानियां झेल रहे इंजीनियर्स को मुसीबतों के साथ विभाग में अपनी सेवाएं देने को मजबूर हैं।
शनिवार को हमारे प्रातिनिधि को जो सूचना मिली वह बेहद चिन्तित करने वाली थी। आपको बता दें कि जीएसटी विभाग में सिस्टम इंटीग्रेटर इंजीनियर्स की तैनाती की गई है। इन इंजीनियर्स को इनके अनुभव के हिसाब से बेहद मामूली वेतन पर रखा गया है। ये इंजीनियर्स विभिन्न निजी कम्पनियों से हायर किए गए हैं। इंजीनियर्स जीएसटी के कम्प्यूटरईजेशन में तकनीकी समस्याओं के निराकरण में सहयोग देते हैं। लेकिन इन इंजीनियर्स को विभाग में सुविधाओं के अभाव में अपनी सेवाएं देनी पड़ रहीं है इसी के साथ इन इंजीनियर्स को महीने पर वेतन तक नहीं मिल पा रहा है। इंजीनियर्स को वेतन न मिल पाने में सरकार के बजट का खेल है या कम्पनियों की कोई रणनीति है यह जांच का विषय है। बरहाल यह सोचना लाज़मी है कि युद्ध स्तर पर चल रही जीएसटी व्यवस्था में भूखे पेट क्रान्ति कब तक होगी यह देखने का विषय है।