कभी गोटा किनारी लगाता जाता ये मेरा मन
कभी चुनरी लहराता जाता ये मेरा मन
कभी अरमान संजोता जाता ये मेरा मन
कभी टूट कर बिखरता जाता ये मेरा मन
कभी आग बनके दहकता जाता ये मेरा मन
कभी राख बनके सुलगता जाता ये मेरा मन
कभी आँखों में ख्याल बनके सो जाता ये मेरा मन
कभी पलकों में सपने बिखेर जाता ये मेरा मन
कभी एहसासों का स्यापा ये मेरा मन
कभी अरमानों का बवंडर ये मेरा मन
कभी सपनों का शीशमहल ये मेरा मन
कभी टूटता खण्डहर ये मेरा मन