हाथरस, जन सामना ब्यूरो। सादाबाद गेट स्थित धन्वन्तरि औषधालय पर 162 वां कवि दरबार स्वर्गिक कवियों को काव्यांजलि रूप में समर्पित था। इसमें कवियों ने अपनी काव्य रचनाओं द्वारा स्वर्गिक कवियों का स्मरण करते हुये काव्यांजलि अर्पित कीं। कवि दरबार का शुभारंभ वीणा पाणि मां सरस्वतीजी के वंदन से हुआ।
कवि श्याम बाबू चिंतन-जिन्होंने तराशा है हमारा जीवन, उन पूर्वजों का वंदन करें। राकेश रसिक-श्री गंगा मां हैं तारन तरन, इनको करें नमन। प्रदीप पंडित-हम सभी आये यहां पूर्वजों व स्वर्गीय कवियों के सम्मान में। रामभजनलाल सक्सैना-ऐ मित्रो सुनो राष्ट्र भाषा हिन्दी महान है, यह भारत की शान है। श्रीनाथ अबोध-सुख, समृद्धि, निर्माण का अद्भुत है संस्कार। नाना हाथरसी-प्रेम प्यार से रहना सीखें, खुशिहाली में जीना सीखें। वैद्य मोहन ब्रजेश रावत-राष्ट्रीय एकात्मता है सर्व धर्म समभाव। पं. मनोज द्विवेदी, विष्णुदयाल वाष्र्णेय बजाज, बासुदेव उपाध्याय ने भी काव्य पाठ किया।
कवि दरबार में आर्य कवि नरेन्द्र निर्मल, कवि दरबार प्रेरणापुंज आचार्य डा. रघुवीर प्रसाद त्रिवेदी तथा गाफिल स्वामी की मां को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये।
कवि दरबार प्रचार प्रभारी जयप्रकाश शर्मा ने ‘दे गये साहित्यिक अवदान, धन्य थे स्वर्गिक कवि रत्न महान’ कविता से अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये तथा आभार कवि दरबार के संस्थापक वैद्य मोहन ब्रजेश रावत ने व्यक्त किया।