श्याम बिहारी भार्गवः मथुरा। केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम, फरह, मथुरा (उत्तर प्रदेश) में मंगलवार को जमुनापारी बकरी की उत्पादकता एवं नस्ल संरक्षण में सुधार हेतु आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में इटावा एवं औरैया जिलों के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, उप पशु चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य पशु अधिकारी शामिल हुए। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से जमुनापारी बकरियों की उत्पादकता बढ़ाना एवं उनकी जनसंख्या वृद्धि सुनिश्चित करना था। कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, भारत सरकार के उप महानिदेशक (पशु उत्पादन एवं प्रजनन) डॉ. जी. के. गौड़ ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जमुनापारी नस्ल न केवल भारत बल्कि पूरे एशिया के लिए एक महत्वपूर्ण नस्ल है। उन्होंने बकरी संस्थान, राज्य सरकार एवं बकरी पालकों से इस बहुउपयोगी नस्ल के विकास और संरक्षण को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। संस्थान के निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि संस्थान पिछले 40 वर्षों से जमुनापारी नस्ल के विकास एवं संरक्षण में कार्यरत है। कार्यक्रम के समन्वयक एवं जमुनापारी नस्ल विकास के प्रधान अन्वेषक डॉ. मनोज कुमार सिंह थे। सह-समन्वयक के रूप में डॉ. गोपाल दास (प्रधान वैज्ञानिक) एवं डॉ. तरुण पाल सिंह (वैज्ञानिक) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दो दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को उत्तर प्रदेश की बकरी नस्लों के आनुवांशिक सुधार एवं संरक्षण, संक्रमणीय रोगों की रोकथाम, कृत्रिम गर्भाधान तथा दूध एवं मांस प्रसंस्करण तकनीकों की जानकारी प्रदान की गई।
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