हाथरस। थोड़ी तपस्या पर ही प्रसन्न होकर भक्तों को वरदान देने वाले भगवान भोलनाथ इतने भोले हैं कि थोड़ी ही तपस्या पर प्रसन्न होकर अपने भक्तों की पुकार सुन लेते हैं। इसी भाव से शिवभक्त महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व खाली कांवड़ लेकर गंगा स्नान को जाते हैं और वहां से कांच की शीशियों में गंगाजल भरने के बाद कांवड़ को दुल्हन की तरह सजाकर कंधे पर रखकर जय भोले की ध्वनि के साथ भोले बाबा का जलाभिषेक करने के लिए निकल पडते हैं।
बुधवार को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी, मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के त्यौहार के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस कारण से प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर दूध, दही, गंगाजल, घी और बेलपत्र से शिवजी का अभिषेक किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर व्रत और पूजा पाठ करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। महाशिवरात्रि पर रात्रि के चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व होता है। शिव जी को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। करुणा उनके हृदय से निकलती है। ऐसे में शुद्ध मन और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा निश्चित रूप से फल देती है। इस बार बुधबार को महाशिवरात्रि का योग है, अतः कांवड़िया बुधबार को भगवान शिव का गंगाजल से जलाभिषेक करने के लिए कांवड़ ला रहे हैं। वहीं कांवड़ियों का मार्ग में जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत भी किया जा रहा है। तथा उनके लिए राहत शिविर भी लगाए गये हैं।