जन सामना डेस्कः नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को बताया कि केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना में जाति आधारित गणना को शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इस विषय पर सहमति जताई है।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए वैष्णव ने कहा, ’यह फैसला हमारी सरकार की सामाजिक न्याय और समानता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जैसे पहले हमने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10% आरक्षण देने का साहसिक कदम उठाया था, अब जातिगत आंकड़ों को औपचारिक रूप से जनगणना में शामिल किया जाएगा।’
उन्होंने कांग्रेस और INDIA गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी दलों ने जाति जनगणना को हमेशा राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से अब तक की जनगणनाओं में जाति का कोई उल्लेख नहीं हुआ, और 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा जाति जनगणना के सुझाव को कैबिनेट की मंजूरी तक नहीं मिल पाई थी। उस समय केवल सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना कराई गई, जिसे पूर्ण जाति गणना नहीं माना जा सकता।
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि जनगणना संविधान के अनुसार केंद्र का विषय है और कुछ राज्यों द्वारा की गई जातिगत सर्वेक्षणों की पारदर्शिता पर सवाल उठते रहे हैं। उन्होंने कहा, ’ऐसे सर्वेक्षण समाज में भ्रम फैलाते हैं। इसीलिए पारदर्शिता बनाए रखने के लिए और सामाजिक ढांचे को मज़बूत करने के उद्देश्य से जाति गणना को आधिकारिक जनगणना का हिस्सा बनाया जाएगा।’