मथुरा। श्री कृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष और कृष्ण जन्मभूमि केस के प्रमुख पक्षकार दिनेश फलाहारी ने बताया कि प्रयागराज हाई कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर बहस हुई। इस प्रार्थना पत्र में मांग की गई थी कि मथुरा स्थित मस्जिद को भी संभल और अयोध्या की तरह विवादित ढांचा घोषित किया जाए। मुस्लिम पक्ष ने न्यायालय में इस मांग का विरोध किया। उनका कहना था कि यदि मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित कर दिया गया, तो वहां नमाज पढ़ना संभव नहीं रहेगा, इसलिए इसे ईदगाह मस्जिद ही रहने दिया जाए। हिंदू पक्ष की ओर से न्यायालय में दलील दी गई कि मथुरा में मुस्लिम समाज ने वर्ष 1992 से ही नमाज पढ़ना शुरू किया है और उनके पास ऐसा कोई भी ऐतिहासिक या कानूनी प्रमाण नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि यह स्थान प्राचीन काल से मस्जिद रहा है। हिंदू पक्ष ने कहा कि बिजली और पानी के बिल, खसरा-खतौनी, पुरानी खेबट में यह स्थान हिंदू मंदिर ट्रस्ट के नाम दर्ज है। यहां तक कि रेलवे से मुआवजा भी हिंदू पक्ष को ही प्राप्त हुआ है। नगर निगम को कर हिंदू मंदिर द्वारा अदा किया जाता है। इसके साथ ही हिंदू पक्ष ने यह भी कहा कि विवादित स्थल पर शंखपुष्प, सुदर्शन चक्र, शेषनाग आदि जैसे प्राचीन हिन्दू प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं, जो स्पष्ट रूप से इस स्थान को एक मंदिर के रूप में प्रमाणित करते हैं। हिंदू पक्ष ने अदालत को यह भी बताया कि जैसे अयोध्या और संभल की मस्जिदों को हाईकोर्ट ने विवादित ढांचा माना, उसी प्रकार मथुरा की इस मस्जिद को भी वैसा ही दर्जा दिया जाए। उन्होंने कहा कि अयोध्या, काशी, मथुरा और संभल में घटनाओं की प्रकृति एक जैसी है—इन सभी स्थानों पर मुगल आक्रमणकारियों द्वारा तलवार के बल पर कब्जा किया गया था। न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया और अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तिथि नियत की है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में हाई कोर्ट का निर्णय कभी भी आ सकता है। इसी के चलते श्रीकृष्ण जन्मभूमि क्षेत्र में हलचल तेज हो गई है और सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है। उल्लेखनीय है कि दिनेश फलाहारी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने तीन वर्ष पहले यह संकल्प लिया था कि जब तक कथित ईदगाह मस्जिद नहीं हटेगी, तब तक वे भोजन नहीं करेंगे। वह आज भी बिना भोजन के संकल्प पर डटे हुए हैं। स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है और कोर्ट के संभावित निर्णय को लेकर चौकसी बरती जा रही है।
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