सासनी, हाथरस, ब्यूरो। आगरा अलीगढ रोड स्थित कोतवाली के निकट गोविंद गार्डन में चल रहे श्रीमद्भगवत कथा महोत्सव के दौरान आचार्य अतुल कृष्ण जी महाराज ने राजा डाकू अजामिल और भक्त प्रहलाद की कथा का रोचक वर्णन किया। जिसे सुन श्रोता भाव विभोर हो गये। आचार्य श्री ने सुनाया कि अजामिल नाम का एक ब्राह्मण था। एक दिन बाजार को गया तो एक वैश्या को देखकर उसपर मोहित हो गया और उसके घर ले आया। पत्नी को घर से निकाल दिया। वैश्या के खर्च पूरा करने के लिए वह चोरी आदि करने लगा और बाद में वह एक नामचीन डाकू बन गया। उसके कर्म दुष्टतापूर्ण हो गये। एक बार साधुओं की टोली आई अजामिल घर नहीं था। मगर उसकी पत्नी की बुद्धि में कुछ भक्ति जागी और साधुओं का सूखी भोजन सामिग्री दी। जिसे बनाकर साधुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इसने में डाकू आ गया साधुओं ने उससे दक्षिण मांगी तो वह उन्हें मारने को तैयार हो गया। मगर वैश्या के समझाने पर शांत हो गया। तब साधुओं ने उससे दक्षिणा में उसकी पत्नी को होने वाले नवजात शिशु का नाम नारायण रखने को कहा। इस पर वह राजी हेा गया।
इधर जब डाकू अजामिल की उम्र बढी और वह मृत्यु शैया पर पहुंचा तो वहा यमदूत खींचने लगे तो वह अपने पुत्र नारायण को पुकारने लगा। इस पर भगवान नारायण के दूत आ गये और यमराज के दूतों से भिड गये। डाकू अजामिल केा नारायण के दूत ले गये। इस प्रकार एक डाकू केा श्री हरि का नाम लेने मात्र से स्वर्ग की प्राप्ति हो गई। इसलिए हमें ईश्वर और मोक्ष प्राप्ति के लिए हरिभजन करते रहना चाहिए। आर्चा ने भक्त प्रहलाद की कथा का भी रोचक वर्णन करते हुए बताया कि हमारी भक्ति भक्त प्रहलाद की तरह होनी चाहिए। जिससे हमें पापाग्नि जला न सके। इस दौरान सैकडों श्रोता मौजूद थे।