Sunday, November 24, 2024
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ढाबा एवं फास्ट फूड रेस्टोरेन्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ

चाऊमीन, फिश अला एगलेश, बे्रड बटर पुडिंग, वेजिटेबल कटलेट की भी दी जा रही हैं जानकारी ढाबा एवं फास्ट फूड रेस्टोरेन्ट के विकास की असीम सम्भावनाएं
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। डा0 अम्बेडकर नगर रनियाॅं स्थित राजकीय फल संरक्षण केन्द्र द्वारा आयोजित 14 दिवसीय ढाबा एवं फास्टफूड रेस्टोरेन्ट प्रशिक्षण में उपस्थित छात्र-छात्राओं को बताया मनुष्य के जीवन में फास्ट फूड यानि जल्द तैयार होने वाला भोजन/नास्ते का विशेष महत्व है। व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने के उपरान्त ढाबा एवं फास्ट फूड कार्नर, रेस्टोरेंट आदि के विकास की असीम सम्भावनाएं हैं। आज की व्यस्ततम् जिन्दगी में नौकरी पेशा लोग सुबह की आपाधापी में नास्ता या खाना बनाकर आर्डर करके मंगाना ज्यादा पसन्द करते हैं। इसका एक कारण रेस्टोरेन्ट व ढाबों द्वारा दी जा रही लजीज व आकर्षक व्यंजनों की वैराइटी हैं। इस प्रशिक्षण को पूर्ण करने के उपरान्त छात्र छात्राएं कहीं भी सरकारी सहायता प्राप्त कर अपना निजी व्यवसाय प्रारम्भ कर सकते हैं। प्रशिक्षण में ढाबा एवं फास्ट फूड रेस्टोरेन्ट में यह भी बताया जाएगा कि किस प्रकार से जल्द खाद्य सामग्री तैयार की जाए व उसकी गुणवत्ता व पोषकता भी बनी रहे। राजकीय फल संरक्षण केन्द्र के प्रांगण में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ सहायक निदेशक सूचना प्रमोद कुमार द्वारा फीता काटकर व दीप प्रज्जवलित कर किया तथा उपस्थित प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण से सम्बन्धित किट, बैग तथा उ0प्र0 सरकार की नीतियों से सम्बन्धित साहित्य प्रदान किया गया। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान बतायी जा रही जानकारियों को छात्र-छात्रायें आत्मसात कर आत्मनिर्भर होकर स्वरोजगार की दिशा में आगे बढें। खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच, खाद्य पदार्थों के खराब होने के कारण खाद्य संरक्षण का महत्व व इसके बाजार के बारे में भी छात्र-छात्राएं भली भांति जानें।


केन्द्र प्रभारी महेश कुमार तिवारी ने कहा ढाबा फास्टफूड रेस्टोरेन्ट के माध्यम से प्रशिक्षार्थियों को पाक कला की परिभाषा एवं उद्देश्य, कच्चे माल का वर्गीकरण, चाऊमीन, साॅस, स्टाॅक, सूप, चायनीज पाक कला के सिद्धान्त, मैन्यू प्लानिंग, स्नैक्स आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम, कोन्टिनेन्टल क्यूजीन, शहरी व ग्रामीण क्षेत्र हेतुढाबा/फास्ट फूड रेस्टोरेन्ट आदि सम्बन्धी कार्यकलापों को विस्तार से बताया जाएगा।संस्थान के मास्टर ट्रेनर राम सहाय व प्रशिक्षिका एक महाविद्यालय की प्रवक्ता रीना बाजपेई ने बताया कि फल व सब्जियों को उपयोग के लिए संरक्षित रखकर प्रयोग कर सकते हैं। उनके पोषक तत्व व विटामिन्स आदि भी नष्ट न हों, कार्यक्रम युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में भी विशेष महत्वपूर्ण है। केन्द्र प्रभारी महेश कुमार तिवारी ने छात्र-छात्राओं को उद्यम एवं उद्यमिता, उद्योग आदि के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि सुरक्षित पदार्थों में हवा के अन्दर चले जाने के कारण पदार्थ कुछ समय के बाद खराब हो जाते हैं इस पर निरन्तर अनुसंधान भी होते रहे हैं वर्ष 1807 ई0 में साडिंग्टन नामक वैज्ञानिक के फू्रट कैनिंग की ओर ध्यान देकर संरक्षण के नए-नए साधन निर्मित किए। 1810 ई0 में पीटर ड्योरेण्ड नामक इंग्लैण्ड के वैज्ञानिक ने फल और सब्जी के अतिरिक्त मीट को भी टीन के डिब्बे में संरक्षित करने की विधि का भी अविष्कार किया। फल और सब्जियों के डिब्बे में बन्द करने के बाद बाहर की हवा नहीं लगनी चाहिए क्योंकि फल सब्जियों को बाहर की हवा खराब कर देती है। प्रशिक्षण के दौरान बेक्ड बटर चिकन, क्रीम्ड पोटैटो, बे्रड बटर पुडिंग, चिकन बिरयानी, फिश अला एगलेस, उपमा, स्पाइसी मैक्रोनी, बेजिटेबल कटलेट, सोयाबीन व मसूर की दाल के कबाब आदि की विस्तृत जानकारी प्रशिक्षक आदि द्वारा दी जायेगी। प्रशिक्षण में कु0 पूजा शर्मा, प्रियांशी गुप्ता, शांति देवी, रूबी देवी, रानी देवी, अर्चना देवी, प्रिकी, संजीव कुमार गुप्ता, रश्मी गुप्ता, श्याम सुन्दर, नूर बानो, रेशमा बानो, संदीप, सुनैना देवी, विनीता, रविन्द्र प्रताप सिंह, किरन देवी, सपना पाल आदि सहित दर्जनों प्रशिक्षार्थी उपस्थित रहे।