समावेशी विकास के लिए जल संसाधन प्रबंधन पर डॉ. अम्बेडकर के विचारों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए घोषणा की है कि उनके जन्म दिवस 14 अप्रैल को ‘‘जल दिवस’’ के रूप में मनाया जायेगा। सुश्री भारती केंद्रीय जल आयोग की ओर से समावेशी विकास के लिए जल संसाधन प्रबंधन पर डॉ.अम्बेडर के विचारों पर आज नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहीं थीं।
मंत्री महोदया ने कहा, ‘‘आने वाले दिनों में पानी भारत सरकार का महत्वपूर्ण एजेंडा बनने वाला है।’’ सुश्री उमा भारती ने आह्वान किया कि अब समय आ गया है जब हम विचार करें कि क्या हर कार्य के लिए स्वच्छ जल का इस्तेमाल किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संशोधित और गैर संशोधित जल का किस प्रकार से बेहतर इस्तेमाल हो।
विभिन्न प्रकार की योजनाओं में पानी की भूमिका को रेखांकित करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि देश में पानी की व्यवस्था में सुधार और उसका दुरूपयोग करने वालों को दंडित किये जाने की जरूरत है। केंद्रीय जल आयोग और केंद्रीय भूजल बोर्ड के पुनर्गठन के बारे में डॉ. मिहीर शाह समिति की रिपोर्ट की चर्चा करते हुए सुश्री भारती ने कहा ‘‘हमें रिफोर्म तो लाना है, लेकिन वह सर्वसम्मत होना चाहिए।’’
त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) 99 परियोजनाओं का जिक्र करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि इन परियोजनाओं के पूर्ण होने से लगभग 80 लाख हैक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचित हो पायेगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजनाओं को वर्ष 2020 तक पूरा करने के लिए जरूरी रूपरेखा तैयार करने के लिए केंद्रीय जल आयोग के युवा वैज्ञानिकों की टीमें देश भर में भेजी गयी हैं, जो शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट पेश कर देंगीं। बाढ़ प्रबन्धन की चर्चा करते हुए सुश्री भारती ने कहा ‘‘बाढ़ प्रबन्धन को नये सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है, ताकि उसे सार्थक दिशा में ले जाया जा सके।’’ उन्होंने कहा कि हमें सुनिश्चित करना होगा कि ‘बाढ प्रबन्धन’, ‘भ्रष्टाचार प्रबन्धन’ में न बदल जाये। बाढ़ प्रबन्धन में राज्य सरकारों एवं स्थानीय प्रशासन कि भूमिका का उल्लेख करते हुए जल संसाधन मंत्री ने कहा कि उनकी भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे नदियों के बाढ संभावित इलाकों को पहले से चिन्हित करें और यह सुनिश्चित करें कि वहां बसावट न हो। यदि फिर भी उन क्षेत्रों में कोई रहता है तो उसे बराबर यह चेतावनी दी जाये कि वह कभी भी बाढ़ से प्रभावित हो सकता है।
इस एक दिवसीय संगोष्ठी में जल संसाधन मंत्रालय के विशेष कार्याधिकारी डॉ. अमरजीत सिंह, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष एस.डी. दुबे, जवाहर लाल नेहरू विश्विद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सुखदेव थोरठ, केंद्रीय जल आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुरेश चंद्र, डॉ. अंबेडर संस्थान की डॉ. उर्मिला चंडेल, केंद्रीय जल आयोग के पूर्व सदस्य एम.ई. हक, केंद्रीय जल आयोग के मुख्य अभियंता संजीव अग्रवाल और जल कानूनों के विशेषज्ञ प्रो. डॉ. अवधेश प्रताप ने भाग लिया।