राजा साहब को मिले भारत रत्न सम्मान
हाथरस, जन सामना संवाददाता। आजादी के महानायक आर्यन पेशवा राजा महेन्द्र प्रताप सिंह जी की 130 वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में सप्ताह भर चले कार्यक्रमों के समापन पर विचार गोष्ठी का आयोजन कामरेड भगवानदास मार्ग स्थित माहौर गैस्ट हाउस में किया गया। विचार गोष्ठी में राजा महेन्द्र प्रताप विचार संघ के अध्यक्ष कप्तानसिंह ठैनुआ ने कहा कि सप्ताह भर चले कार्यक्रमों के माध्यम से संघ के सहयोगियों व पदाधिकारियों ने राजा साहब के विचारों को लोगों तक पहुंचाया। श्री ठैनुआ ने राजा साहब की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका के संदर्भ में विस्तार से प्रकाश डालते हुये कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप का जन्म मुरसान के राज परिवार में 1 दिसम्बर 1886 को हुआ था। संघ के महासचिव चै. रामकुमार सिंह वर्मा ने कहा कि राजा साहब ने अपनी 28 साल की उम्र में 20 अगस्त 1914 में राज परिवार को छोड़कर अंग्रेजों से कूटनीतिक लड़ाई लड़ते हुये जापान, यूरोप तथा अन्य देशों में जाकर अंग्रेजों को मात दी तथा अफगानिस्तान में भारतीय सरकार का गठन किया। जिसे चलाने के लिये राजा साहब स्वयं राष्ट्रपति बने एवं वरकतुल्ला को प्रधानमंत्री बनाया। इस सरकार को सभी मुस्लिम देशों एवं जर्मन इटली आदि देशों की मान्यता प्राप्त थी। रामवीर सिंह भैयाजी ने कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने आजादी की लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया तथा अंग्रेजों को भारत छोड़ने को मजबूर कर दिया। राजा साहब जब 1946 में भारत लौटे तो उनका अद्वितीय स्वागत अभूतपूर्व रूप से मद्रास (चैन्नई) हवाई अड्डे पर हुआ। चै. संजय सिंह ने कहा कि हमें राजा साहब से प्रेरणा लेकर उनके बताये मार्ग पर चलना चाहिये तथा आजादी के महान सपूत को इतिहासकारों ने इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया जिसके लिये इतिहासकारों को समाज कभी भी माफ नहीं करेगा। राजा साहब को भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिये तथा इतिहासकारों को भी राजा साहब को पूरा सम्मान देते हुये आजादी के महान योद्धा को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में समाज में चेतना जागृत करने के लिये राजा साहब के कार्यक्रम सम्पूर्ण भारत वर्ष में होने चाहिये। इस अवसर पर विजयपाल सिंह, संजीव पांडे, रामगोपाल सिंह बघेल, कोमल सिंह, चै. संजीव कुमार, ममता रावल, चै. हम्बीर सिंह, शैलेन्द्र सर्राफ, नवाव सिंह बघेल, गोपाल वर्मा, प्रशान्त उपाध्याय आदि उपस्थित थे।