Monday, November 25, 2024
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विश्व दिव्यांग दिवस पर किया सम्मान

हाथरसः जन सामना ब्यूरो। ‘‘पंख निकल आने से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है’’ यह कहावत ही नहीं है जो इंसान इसे जीवन्त कर लेते हैं वह दूसरों के लिए उदाहरण बन जाते हैं। दिव्यांग अपने को विकलांग न समझें। हर अंग अगर दिव्य अर्थात् श्रेष्ठ बन जाये तो जीवन में उमंग उत्साह की अनुभूति होगी। यह विचार विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर अलीगढ रोड स्थित आनन्दपुरी केन्द्र के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के राजयोग शिक्षिका बीके शान्ता बहिन ने व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि देवताओं के हर अंग कमल के समान दिव्य होते हैं। इसलिए देवताओं की पूजा होती है। शारीरिक रूप से विकलांग कोई भी कभी भी हो सकता है, उनका उपहास न करके उन्हें अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना सामाजिक फर्ज बन जाता है।
प्रातःकालीन राजयोग कक्षा में दिव्यांग बी.के. बसन्तलाल शर्मा को पीत वस्त्र पहनाकर ब्रह्मावत्सों द्वारा सम्मान किया गया। बी.के. बसन्तलाल एक पैर में दिव्यांग हैं लेकिन रोजाना लगभग 28 किलोमीटर से वाहन द्वारा नियमित राजयोग क्लास में उपस्थित हो जाते हैं। बसन्त शर्मा आत्मनिर्भर रहकर कृृषि कार्य करते हुए जीवकोपार्जन करते हैं। ईश्वरीय ज्ञान का साप्ताहिक पाठ्यक्रम करने से पूर्व ग्रामीणजनों के कुसंग में आकर वे अनेक प्रकार के नशों के शिकार हो गये। बाद में ब्रह्माकुमारीज़ संगठन में आने के बाद कुसंग और नशे दोनों से मुक्त रहकर अविवाहित जीवन बिताकर मानवता में दिव्यता भरने की सेवा पर जहाँ तहाँ उपस्थित रहते हैं और अपनी तरह नशे के शिकार लोगों को मेरा भारत व्यसन मुक्त भारत अभियान में सम्मिलित होकर नशे से दूर करने का सद्प्रयास करते हैं।
इस अवसर पर बसन्त शर्मा ने कहा कि दिव्यांग होना कोई अपराध नहीं है। दिव्यांगों को अपने जीवन से निराश नहीं होना चाहिये। किसी से भीख माँगने की बजाय आत्म निर्भर बनने का प्रयास करना चाहिए।
इस अवसर पर बी.के. कैप्टन अहसान सिंह, दुर्गेश, मौनिका, राकेश अग्रवाल, गिरीश अग्रवाल, दाऊदयाल अग्रवाल, राजेश शर्मा, भगवानदास, केशवदेव, भीमसैन, सुरेशचन्द्र, सन्ध्या अग्रवाल, शशी अग्रवाल, ममता, वेदवती, ओमप्रकाश, मनोज कुमार, भगवान देवी आदि अनेक ब्रह्मावत्सों ने दिव्यांग बसन्त लाल शर्मा का उत्साहवर्द्धन किया।