हाथरस, जन सामना संवाददाता। नोटबंदी से किसानों की हालत पतली है और केन्द्र सरकार ने गेहूं का आयात शुल्क घटाकर किसानों को हतप्रभ कर दिया है। किसानों की मांगों को लेकर राष्ट्रीय लोकदल द्वारा आज कलेक्ट्रेट में धरना दिया गया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। रालोद ने आज कलेक्ट्रेट में धरना देते हुए कहा कि सूखा, बाढ, कर्ज के कारण किसान आत्महत्या को मजबूर है। नोटबंदी ने किसान की हालत पतली कर दी है। किसान आज खाद बीज के लिए मारा-मारा घूम रहा है। किसान के आलू, गोभी, बैंगन आदि सब्जियां बाजार में कोडियों के दाम लुट रही हैं। धान, अरहर, बाजरा को कोई खरीदने वाला नहीं है। विदेश से आयात होने वाला गेहूं देश के गेहूं से 200 रू. प्रति कुन्तल सस्ता पडता है लेकिन सरकार द्वारा इस पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाकर देश के किसानों को बर्बाद होने से बचा लिया जाता था। अब खेद का विषय है कि वर्तमान केन्द्र सरकार द्वारा माह सितम्बर में आयात शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत किया गया व 9 दिसम्बर को आयात को पूर्णत आयात शुल्क से मुक्त कर दिया गया और सरकार के इस फैसले से किसान हतप्रभ हैं। पूर्व के हुए करार के मुताबिक रूस, यूक्रेन आदि देशों से फरवरी माह में आने वाली गेहूं खेप के बाद, माह अप्रैल में आने वाली देशी फसल के बाजार में कोडियों के दाम लुट जाने के आसार बन चुके हैं। रालोद ने राष्ट्रपति से मांग की है कि केन्द्र सरकार को निर्देशित कर गेहूं पर आयात शुल्क पूर्ववत लागू करा किसान को लुटने से बचायें। धरना एवं ज्ञापन देने वालों में पूर्व विधायक डा. अनिल चैधरी, जिलाध्यक्ष धर्मवीर सिंह, गिरेन्द्र चैधरी, आशीष चैधरी, मनोज चैधरी, गुड्डू चैधरी, केशवदेव, राजेन्द्र सिंह एड., कृष्ण मुरारी, कोमल सिंह, रोहिताश सिंह आदि तमाम लोग मौजूद थे।