हाथरस, जन सामना संवाददाता। सांसद राजेश कमार दिवाकर ने लोकसभा में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से देश में चल रहे वृद्धाश्रमों की संख्या तथा उनमें रह रहे वरिष्ठ नागरिकों की संख्या, उनके रखरखाव तथा उनकी निगरानी की प्रक्रिया तथा पायी गई कमियों के सुधार हेतु उठाये गये कदमों के सम्बन्ध में जानकारी मांगी। साथ ही यह भी पूछा कि सरकार ने गत तीन वर्षो और चालू वर्ष के दौरान वृद्धाश्रमों, राहत देखभाल गृहों, बहु सेवा केन्द्रों, मोबाइल चिकित्सा इकाइयों आदि को चलाने और रखरखाव हेतु राज्यों का ब्यौरा और राज्यवार वर्तमान स्थिति क्या है। जानकारी देते हुये सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री विजय साम्पला ने बताया कि एकीकन वृद्धजन कार्यक्रम (आई.पी.ओ.पी.) योजना के तहत सहायता प्राप्त वृद्धाश्रमों की कुल संख्या पूरे देश में 208 है, जिनके लिये 9 करोड़ 56 लाख 76 हजार की धनराशि अवमुक्त की गई है, जिसमें 5200 लाभार्थियों को कवर किया गया है।
इस योजना के अन्तर्गत सहायता अनुदान की निर्मुक्ति के लिये गैर सरकारी संगठनों के प्रस्तावों पर राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों की सिफारिशों, वार्षिक रूप से किए गए निरीक्षणों की संतोषजनक रिपोर्टो और इस योजना के मानदण्डों और मार्ग निर्देशों के अनुसार प्रस्ताव के सभी दृष्टि से परिपूर्ण होने पर ही विचार किया जाता है। इसके अलावा पूर्ववर्ती वर्ष में प्राप्त अनुदानों के लेखों के लेखा परीक्षित विवरण और उपयोगिता प्रमाण-पत्रों की की प्राप्ति पर ही कार्यान्वयनकारी एजेन्सियों को तदन्तर अनुदान जारी किया जाता है। इसके अलावा गैर सरकारी संगठनों को अनुदान मंजूर करते समय, व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के लिये, मंत्रालय में वर्ष 2014-15 से प्रस्तावों की आॅन-लाइन प्रोसेसिंग शुरू कर दी है। इसके अलावा गैर सरकारी संगठनों के कार्य निष्पादन की निगरानी भी समय-समय पर इस मंत्रालय द्वारा प्रतिनियुक्ति अधिकरियों और क्षेत्रीय संसाधन प्रशिक्षण केन्द्रों के प्रतिनिधियों द्वारा किये गये औचक निरीक्षकों के माध्यम से की जाती है। निरीक्षण रिपोर्टों के आधार पर आवश्यक सुधारात्मक कार्यवाही की जाती है। रिपोर्ट में बतायी गई कमियों के सम्बन्ध में सम्बन्धित गैर सरकारी संगठनों को कारण बताओ नोटिस जारी किये जाते हैं और प्राप्त उत्तरों के आधार पर अनुवर्ती कार्यवाही की जाती है। धनराशि के दुरूप्योग या परियोजनाओं के कुसंचालन अथवा काम ना करने आदि के गम्भीर मामलों में, सम्बन्धित गैर सरकारी संगठनों को समुचित प्रक्रिया अपनाने के पश्चात काली सूची में डाल दिया जाता है। इस योजना के अन्तर्गत धनराशियां जारी करना एक सतत प्रक्रिया है। सम्बन्धित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की सहायता अनुदान समिति द्वारा संस्तुत प्रस्तावों पर, संगत योजनाओं के मानदण्डों और मार्ग-निर्देशों के अनुसार, अनुदान जारी करने के लिये कार्यवाही की जाती है, बशर्ते प्रस्ताव सभी दृष्टि से परिपूर्ण हों और धनराशियां उपलब्ध हों।