Sunday, November 24, 2024
Breaking News
Home » विविधा » तू मंजिल मेरी है तू रस्ता मेरा है,

तू मंजिल मेरी है तू रस्ता मेरा है,

…दिवाकर कुमार सुलतानपुरी, दिल्ली।

तू मंजिल मेरी है तू रस्ता मेरा है,
मुसाफिर हूँ मुझको चलना सदा है,
सफर तय किया , इनायत है रब की
मुसिबत से महरूम उसने रखा है,
नजरों में मेरी है गुलिस्तां भी बंजर
हकीकत का जबसे पर्दा उठा है,
गमों की नवाजिश करें भी तो कब तक
की ये रोज का सिलसिला बन गया है,
तड़पता है दिल बेबसी पे मिरा पर
यही इक अदा मेरी सबसे जुदा है,