राज महाजन के ‘मजबूरियां’ ने तोड़ा मोक्ष म्युजिक का रिकाॅर्ड
आईएस अधिकारी ने गाया है चर्चित हो रहा यह गाना
उत्तर प्रदेश के आईएस अधिकारी डा. हरिओम ने गाया है संगीतकार राज महाजन का ‘मजबूरियाँ’
दिल्ली,जन सामना ब्यूरो। इंतजार हुआ खत्म। आपके सामने आ गया है मोक्ष म्युजिक का चर्चित गाना “कैसी हैं मजबूरियां”। आपको जानकर हैरानी होगी इस गाने ने मोक्ष म्युजिक के पिछले सभी गानों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है। ‘रिलीज के 2 दिन के भीतर ही इसने पार कर लिया एक लाख का जादुई आंकड़ा’। सबसे तेजी से इस आंकड़े को पार करने वाला गानाबन गया है ‘कैसी हैं मजबूरियां”।
‘मजबूरियां’ जिसे अपनी आवाज से सजाया है आईएस अधिकारी डाॅ. हरिओम ने. आपको बता दें हरीओम इससे पहले भी मोक्ष म्युजिक के कई गानों में अपनी आवाज दे चुके हैं। डा. हरिओम उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग के सचिव हैं। संगीतकार राज महाजन ने बड़ी ही संजीदगी से इसका संगीत दिया है। इस गाने से राज दिली तौर पर जुड़े हैं। उनका मानना है कि ‘इस गाने में उनके जीवन की भी झलक देखने को मिलेगी. आगे राज कहते हैं यह गाना उन सभी के लिए है जो अपने जीवन में करना तो बहुत कुछ चाहते हैं लेकिन कर नहीं पाते। इंसान के आस-पास कितनी मजबूरियां हो सकती हैं, ये गाना उनकी बानगी भर है। उम्मीद करता हूँ आप इस गाने से खुद को कनेक्टेड महसूस करेंगे। एक आदमी जिंदगी में किस हद तक लाचार हो सकता है। बस इसी मानसिक जद्दोजहद के बारे में है गाना ‘मजबूरियां’। इस गाने में मजबूरी के हालातों से जूझते नजर आये हैं साधनाटीवी डांसिंग वार फेम अमित (दा रोबो) और अंजू टिकू।आपको बता दें अमित के डांस टैलेंट से प्रभावित होकर संगीतकार राज महाजन ने अपने म्युजिक विडियो में बतौर हीरो उन्हें मौका दिया है। राज महाजन बतौर गेस्ट जज ‘डांसिंग वाॅर’ में साधना टीवी पर नजर आए थे जहाँ उन्होंने अमित को मौका दिया। पहली बार इस तरह के डांसिंग विडियो के बारे में मोक्ष म्यूजिक की क्रिएटिव हेड मेघा वर्मा ने बताया कि राज सर हमेशा कुछ नया ही करना चाहते हैं। क्यूंकि उनका मानना है नयापन सबसे अलग नजर आता है। इस बार भी आपके लिए एक बेहतरीन कांसेप्ट है वो भी डांसिंग विडियो के फ्लेवर में। एक सेड सोंग में डांस दिखाना वाकई में देखने लायक होगा।
अपने गाए इस गाने के अनुभव को लेकर डाॅ. हरीओम कहते हैं, “ये गाना बाकी गाए हुए गानों से ज्यादा चलेंजिंग रहा। कम्पोजिशन से लेकर इसके बोल सब बेहतरीन हैं। किस तरह से आज कल के यूथ मजबूरियों के आगे घुटने टेक देते हैं और कुछ लड़कर आगे निकलते हैं, हालाँकि इसके लिए उन्हें कीमत चुकानी पड़ती है। इन्हीं सब बातों को बखूबी दिखाया गया है।