हाथरसः जन सामना संवाददाता।परिवार में आये किसी व्यक्ति को एक गिलास पानी मिले या न मिले यदि उसे आत्मिक स्नेह सम्पन्न मुस्कराहट उसे खुशी दे देती है। आज संसार में मानव बहुत सी परेषानियों से जूझ रहा है। जीवन में सम्पन्नता है लेकिन फिर भी खुषी नहीं है। इंसान चाँद और मंगल पर जा रहा है लेकिन उसकी खुशी का ग्राफ गिरता जा रहा है। अब यही सेवा की आवष्यकता है। खुशी बाँटना यही सबसे बड़ी खातिरी है। युवा यदि मन से आध्यात्मिक रूप से सषक्त हो जायें तो वह संसार को नई दिषा और दषा दिखा सकते हैं। यह उद्गार माउण्ट आबू के षान्तिवन परिसर से आये बी0के0 ऊशाकर भाई ने अलीगढ़ रोड स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के आनन्दपुरी केन्द्र पर प्रातःकाल व्यक्त किये।कासगंज से पधारीं बी0के0 सीमा बहिन , बी0के0 मंजू बहिन ने भी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के विद्यार्थी बनने में आयी परिस्थतियों से अवगत कराया। उड़ीसा की बी0के0 मंजू बहिन ने कहा कि आज बहिनों की संसार में षिक्षा का स्तर एवं समृद्धता का स्तर बढ़ा है उसके बाद में भी उनके प्रति लोगों का नजरिया पुरातन ही है पुरूश प्रधान समाज में अधिकांष निर्णयों में उनकी भागीदारी नहीं हो पाती। उनके भाई ब्रह्माकुमारीज़ संगठन से जुडे़ लेकिन समाज क्या कहेगा यह सोचकर बहिनों को आगे बढ़ाने में संकोची रहे। बी0के0 सीमा बहिन ने कहा कि यह ज्ञान संसार में रहते हुए भी संसार में व्याप्त बुराईयों से वैसे ही अलग करता है जैसे कमल कीचड़ में रहते हुए न्यारा और प्यारा रहता है। उन्होंने इस अवसर पर भक्तिकाल में गाये गये गीत ‘‘पानी का बुलबुला है, मानव की जिन्दगानी, झोका लगा हवा का हो जाये पानी पानी’’ सुनाकर जीवन की वास्तविकता से अवगत कराकर जीवन में अहंकार से दूर रहने का आव्हान किया। राजयोग षिक्षिका बी0के0 षान्ता बहिन ने कहा कि एक दूसरे को खुशी की खुराक खिलाते रहो। भोजन एक बार को मिले न मिले लेकिन जीवन में खुशी जरूर रहे। खुशी जैसी खुराक नहीं। इस अवसर पर बी0के0 कैप्टन अहसान सिंह, रामेष्वर दयाल, मनोज कुमार, केषवदेव, टिविन्कल खन्ना, ओम प्रकाष, दाऊदयाल अग्रवाल, राजेष कुमार षर्मा, सी0पी0 षर्मा मीरा बहिन, मानिका बहिन, उमा बहिन, सरोज बहिन सहित अनेक ब्रह्मावत्स उपस्थित थे।