एक अजीब सी ख्वाईश थी कभी।
बुलंदियों का आसमान छूने की ।।
आज भी आसमान छूने की ख्वाईश है ।
पर अब आसमान छूने की वजह है नई ।।
अब आसमान छूने की ख्वाईश हैं।
क्योंकि सवाल बहुत पूछने है तुझसे।।
मेरे गमो के सवालों का जवाब देना है तुझको ।
तुझे लोगो ने खुदा बना के सर पर चढ़ा के रखा है ।।
इस जमीन पर अगर जवाब ना मिले मुझको ।
धुआँ बन कर ही सही पर आऊंगा तेरे पास जरूर ।।