जब टूटे हर सपना
जब रूठे हर अपना ।
जब परिस्थिति हो विकट
जीवन परीक्षा हो निकट
जी जान लगा दे तू
तन मन अर्पण कर दे तू ।
बस ध्यान रहे
मंजिल पर
उठे हर पद तेरा
लक्ष्य पथ पर !
बाधाएं चाहे कितनी आये
परिस्थिति चाहे कितनी भटकाये
न रुकना !
न थकना !
ना छोड़ना !
सदैव चलना उस ओर
जहां लक्ष्य खड़ा है
सौंपने को अपनी बागडोर।
– देवानंद राय