हर एक मुश्किल बहुत आसान हो जाये,
अगर इंसान अंदर से भी बस इंसान हो जाये ।
कहीं झगड़े न हो सब आपसी सद्भाव से रह लें,
अगर नीयत में हर इंसान के ईमान हो जाये।
किसी मजबूर की करने हिफाजत हाथ उठ जाये,
वो ही इंसान बस उसके लिये भगवान हो जाये ।
अगर होता नही तुमको ये लालच नेक नामी का ,
तुम्हारी खुद ब खुद अपने ही से पहचान हो जाये ।
गजल ऐसी लिखो ऐसी लिखो ऐसी लिखो ‘नीलम’,
कि वो सबके लिए इक इश्क का दीवाना हो जाये ।