लापरवाही का सियासी रंग
आलोक वर्मा पूर्व सी बी आई प्रमुख का नौकरी स्थगन, राफेल में खेल, भागैडो को शय, अम्बानी और अडानी का चक्कर और अमृतसर में ट्रेन दुर्घटना ये कुछ ऐसे वर्तमान मुद्दे है जिसमे मोदी जी और उनकी सरकार घिरती नजर आ रही। सरकार के कद्दावार नेता ऐसे मुद्दों पर बोलने से बचते दिखाई दे रहे। आखिर चुप्पी से कैसे भला होगा पार्टी का ? सबरीवाला मन्दिर का विवाद अब नेशनल विवाद बन गया ऊपर से त्योहारों में जनता की सुरक्षा का भी ध्यान नही रखा जा सका।
दशहरे का दिन उत्सव और मेले का दिन लोगों की भीड़ और भीड़ में जलता रावण। यह वर्णित दृश्य हर उस गली चैराहे कस्बे शहर और राज्य की है। जहा लोग आज भी अधर्म के प्रतिक रावण के पुतले का दहन करते है। भयंकर शोरगुल आतिशबाजी और हूटिंग की आवाजो में अन्य सभी आवाजे दब जाती है। किन्तु चीत्कार हाहाकार प्रलाप और भय की जो आवाज आज दशहरे के दिन गूंजी वो आवाज पंजाब के अमृतसर के लोगों को हर दशहरे पर याद आती रहेगी। बहुत ही दुखद घटना जिसमे रावण दहन का दृश्य देखने के चक्कर में लापरवाह जनता रेल की पटरियों तक आ खड़ी हुई और फिर एक तेज रफ्तार ट्रेन की आवाज दब गयी उस तेज हूटिंग स्वर में जो उस उल्लास से निकली और फिर चीत्कार में बदल गयी या लील गई 300 जिंदगियां वो जिंदगियां जिसे नेता वोटर लोग जनता और मीडिया दर्शक कह रही थी। कौन थे ये मारने वाले ? क्या गलती इन्ही दर्शकों की एकतरफा थी ? आइये विश्लेषण करते है नम आंखो से। और श्रद्धांजलि उन तमाम निर्दोष मृतक आत्माओं को जो प्रशाशनिक लापरवाही के भेट चढ़ गये। कितनी सस्ती है आम इंसानों की जिन्दगी ये आज अमृतसर हादसे से पता चल गया शर्म आती है। दो कौड़ी के निर्लज नेताओं पर जो अपनी सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल लेकर बाहर निकलते है, उसी जनता के बीच जिसने उन्हें वोट देकर सत्ता में बिठाया है।
दशहरे के दिन रेलवे ट्रेक के समीप रावण दहन कार्यक्रम के चलते एक हाई स्पीड ट्रेन अचानक रावण बन कर आती है, और ट्रैक पर खड़े 200 से ज्यादा लोग कुचल दिए जाते है और इसी के साथ कई सवाल खड़े होते है, जिसके जवाब न तो निर्लज नेता दे पाएंगे न ही उनकी चैकसी में तैनात प्रशासन के आला अफसर।
अब बाते होंगी तो सिर्फ एक दूसरे पर दोषारोपण की विपक्ष के नेताओं को मौका मिलेगा घड़ियाली आंसू बाहाने का, सत्ता पक्ष के बेशर्म नेता राहत के नाम पर मुआवजा की घोषणा करेंगे जांच का आश्वासन दिया जाएगा, दोषी बक्शे नहीं जाएंगे, कड़ी कार्यवाही होगी, वगैरा वगैरा अरे व्यवस्था वालो कुछ तो शर्म करो कब तक इस तरह के हादसों में लोग मरते रहेंगे ? पास इस तरह की बेवकूफी भरे आयोजन की अनुमति दी ?
बच्चा बच्चा जानता है, कि ट्रैक के 50 मीटर की दूरी तक रेलवे की संम्पति होती है। अब मुद्दे की बात यह कि इस आयोजन के बारे में बताया जा रहा है कि ये हर साल होता है अगर होता है तो उस दौरान प्रशासन और रेलवे फोर्स कहाँ झक मार रहा था ? किसकी चैकसी में तैनात था ? पंजाब सरकार के मसखरे मंत्री नवजोत सिंह सिद्दू की पत्नी जो इस कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर मौजूद थी उनकी सेवा में प्रशासन के अफसर तैनात थे क्या ? है कोई भाजपा मे या कैप्टन अमरिंदर सरकार में जो नैतिक जिम्मेदारी लेकर लाल बहादुर शास्त्री जी जैसे अद्भुत नेता वाला काम करे और जो इस घटना पर मन से दुखी होकर इस्तीफा दे ? पर नही यहा अब राजनीति होगी लोग संवेदना प्रकट करने पहुचेंगे फिर दोषारोपण करेंगे।
ये सरकारी नरसंहार भी जॉच के बस्तों में दब कर रह जाएगा क्यों कि इसमें आम आदमी मरा है और इस देश मे आम आदमी की कोई औकात नही पंजाब के वीर लोगो दशहरे के दिन असली रावणों को पहचान लो अब इनका ही नरसंहार करना है। रावण के पुतले बहुत फुक लिए अब बारी है ऐसे रावणों को फूकने का जो आपकी जिंदगियो से खेलते है झूठे वादे करते है और अपने घर मे घटना वाले दिन भी चैन से सो रहे। हम कभी तो जांगेगे और फिर पहले विकास ही मांगेगे ना की पंद्रह लाख या रोजगार। जयहिंद। जय भारत।
पंकज कुमार मिश्रा जौनपुरी