हाथरस, नीरज चक्रपाणि। अधिकांश लोगों की मान्यता है कि गीता का ज्ञान भगवान ने हिंसक युद्ध करने के लिए दिया था परन्तु इस मान्यता से इतर सार्वभौमिक एकता, अखण्डता और धर्म के मर्म को समझाने का उपनिषद श्रीमद् भगवद् गीता है। अहिंसा का महत्व और दैवीय गुणों की धारणा को समझाने के लिए गीता जयन्ती के अवसर पर सम्मेलन ‘‘जीवन की समस्याओं का समाधान-गीता ज्ञान’’ का आयोजन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के अलीगढ़ रोड स्थित आनन्दपुरी कालोनी के सहज राजयोग प्रशिक्षण केन्द्र पर राजयोग शिक्षिका बी.के. शान्ता बहिन ने गीता जयन्ती की पूर्व सन्ध्या पर दी।
उन्होंने बताया कि गीता न केवल धर्मशास्त्र है बल्कि इसके माध्यम से समाज को कर्मों की गहन गति समझाने का प्रयास किया है इसलिए यह कर्मशास्त्र भी है। इसमें लोगों को अपने अन्दर के छिपे विकारों को निकालने के लिए मनोयुद्ध करने तथा सात्विक, राजसिक, तामसिक लोग और उनके भोजन आदि के बारे में व्याख्यान तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि मानवी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कराने के लिए प्रोत्साहित करने वाला, योग के विभिन्न आयामों का वर्णन करने वाला एक धर्मशास्त्र है न कि किसी को मारने की प्रेरणा देने वाला धर्मशास्त्र है। आज संसार में हो रहे महाभारत के बीच गीता के मर्म को समझने और जीवन में उतारने का समय है। सम्मेलन का शुभारम्भ आयकर आयुक्त सुनील वाजपेयी करेंगे व माउण्ट आबू से बीके हेमन्त कार्यक्रम में सहभागिता करेंगे।