रुरा/कानपुर देहात, लालू भदौरिया। क्षेत्र के किसान इन दिनों नील गाय व आवारा पशुओं के आतंक से काफी परेशान हो रहे हैं जिसके कारण ये पशु उनके खेतों में खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं लेकिन किसानों की इस गम्भीर समस्या की ओर प्रशासन की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। क्षेत्र के किसानो ने बताया क्षेत्र के अंबियापुर सिरकौड़ा, कमालपुर, आकारु इकरामपुर, खानपुर चैन खंतलिया मरहना आदि गांवों के किसानों के खेतों में आजकल नील गाय व आवारा पशु किसानों के खेतों में खड़ी गेहूं, सरसों, गन्ना आदि की फसले व सब्जियों को खूब नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश होने के बावजूद भी किसानों की सूद लेने वाला कोई नहीं है, उन्हें नील गायों व आवारा पशुओं से अपनी फसलों को बचाने के लिए पूरी—पूरी रात खेतों में बनाए रैन बसेरों में रहकर अपनी फसलों की रखवाली करनी पड़ रही है। इस समस्या के चलते ग्रामीण किसानों ने मक्की, मूृंगफली, उड़द, मिर्च, आदि कईं फसलें को तो उगाना पूरी तरह से बंद कर दिया है। अगर यही हाल रहा तो किसानों को इस समय बोई जा रही फसलों को भी छोड़ कर खेती छोडने को मजबूर होना पड़ सकता है। उधर कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अपनी फसल की निगरानी करके अपना थोड़ा बहुत नुकसान बचा सकते है लेकिन इसमें उन्हें जान का भी खतरा है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का निपटारा खेतों में चारों और बाढ़ लगाकर ही किया जा सकता है क्योंकि कोई भी किसान गाय को नही मार सकता है और न ही बंधक बना सकता है। जो कि एक कानूनी जूर्म है। उन्होंने कहा कि इस समस्या का निपटारा तभी हो सकता है जब सरकार भी किसानों को उनके खेतों के चारों और बाढ़ लगाने में आर्थिक मदद करे। इतना ही नहीं ये नील गाय व आवारा गाये सडक़ से गुजरने वाले वाहन चालकों के लिए भी दुर्घनाग्रस्त बनी हुई हैं क्योंकि ये गायों के झुण्ड कईं बार सडक़ से गुजरने वाले वाहन चालकों से टकरा चुके हैं और इस तरह की घटनाओं में कईं टू व्हीलर चालक घायल हो चुके हैं और कईं अपनी जान भी गंवा चुके हैं। क्षेत्र के सभी किसानों ने अपील की है कि उन्हें शीघ्र इस समस्या से निजात दिलाई जाए ताकि किसान का आर्थिक नुकसान होने से बच सके।