पठानकोट, उरी और अब पुलवामा पर अटैक और हमारे जवानों की हत्या निस्संदेह निंदनीय है और ये एक कायरतापूर्ण हरकत है। हमारे जवानों का बलिदान बेकार नहीं जाना चाहिए। लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा जायज है। ये सही है कि पाकिस्तान को सबक सिखाना जरूरी है लेकिन लड़ाई आसान नहीं होती है। अगर युद्ध होता है तो किस स्तर पर होगा? और उसके परिणाम क्या होंगे? और उससे भी अहम सवाल कि हमारी सेना कितनी तैयार है इसके लिए? जब भी कोई युद्ध होता है हम सब का गुस्सा एकदम चरम स्थिति पर होता है और हम चाहते हैं कि तुरंत कार्यवाही हो। इसमें सिंधु जल समझौता, एमएफएन (मोस्ट फेवर्ड नेशन) का दर्जा, पाकिस्तान को आतंकी राष्ट्र घोषित करना, दूतावास बंद कर देना, राजदूत की वापसी इस तरह की बातों पर जोर दिया जाता है लेकिन इन बातों पर अमल नहीं होता। हालांकि इस बार एम एफ एन का दर्जा वापस ले लिया गया है और सेना को छूट भी दे दी गई है।
एक जगह पढ़ा कि एक लड़की जिसके घर के कई लोग आर्मी में भर्ती हैं वो लड़ाई के हक में नहीं थी ऐसा नहीं लगा मुझे लेकिन उसने जो बातें कही तो मुझे लगा कि उसने कुछ गलत भी नहीं कहा। उसके मन में लोगों के प्रति गुस्सा थी कि जो युद्ध के लिए बड़ी बड़ी बातें करते हैं और लोगों को उकसाते हैं वो खुद कितने बहादुर होतें हैं। सोशल मीडिया पर जितने भी लोग सिर्फ लड़ाई को विकल्प मानते हैं और अपने आप को सच्चा देशभक्त मानते हैं आज अगर उनसे पूछ लिया जाये कि क्या आपके घर का कोई बच्चा आर्मी में जायेगा या आप अपने बच्चे को सरहद पर लड़ने भेजेंगे तो शायद उनकी जबान पर ताला लग जायेगा। मोबाइल पर उंगलियां हिलाने और बड़ी बड़ी बातें करना आसान है।
लोग कैंडल मार्च करते हैं, जमा होकर देशभक्ति की बातें करते हैं लेकिन जो पैसा आप कैंडल खरीदने पर खर्च कर रहे हैं अगर वही पैसा आप शहीदों के परिवारों को मदद रूप मे दें तो ज्यादा सही होगा? क्योंकि उन्हें आर्थिक सहायता दे कर हम सही रूप में जवानों के बलिदान को श्रद्धांजलि दे पायेंगे। बड़ी बड़ी बातें करने और सोशल मीडिया पर बहादुरी बताने से ज्यादा अच्छा है कि लोग शहीदों के परिवारों की मदद करें। पुलवामा हमले को राजनीति से भुनाया जाना सही नहीं है। जिस तरह से लोग प्रधानमंत्री मोदी को कोस रहे हैं और कांग्रेस का मजाक उड़ा रहे हैं और इसे आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ रहे हैं उनकी मानसिकता पर तरस आता है।
एक बात और भी है कि हम कश्मीर को भारत का हिस्सा मानते हैं तो वहां के लोगों को भी अपनाने की पहल करनी होगी। आतंवादियों का मकसद हमारे देश की एकता और व्यवस्था को क्षति पहुंचाना है और ऐसे संकट के समय हमें एकजुट होकर साहस का परिचय देना चाहिए। –प्रियंका वरमा माहेश्वरी