Monday, November 25, 2024
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सुरेश प्रभु 7 वी अंतर-सत्र मंत्रिस्‍तरीय बैठक में भाग लेने के लिए कंबोडिया पहुंचे

नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। केन्‍द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु आरसीईपी (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी) की 2 मार्च 2019 को आयोजित होने वाली सातवीं अंतर-सत्र मंत्रिस्‍तरीय बैठक में भाग लेने के लिए कंबोडिया के सिएम रीप पहुंच गए हैं।
थाईलैंड के कार्यवाहक वाणिज्‍य मंत्री चूटीमां बुलियाप्रफासारा की अध्‍यक्षता में हो रही इस बैठक में सिंगापुर में 14 नवंबर 2018 को आयोजित आरईसीपी की दूसरी बैठक के बाद हुयी प्रगति, 25-26 जनवरी 2019 को विशेष व्‍यापार वार्ता समिति (टीएनसी) की जकार्ता,इंडोनेशिया में हुयी दूसरी बैठक तथा 19-28 फरवरी 2019 को इंडो‍नेशिया के बाली में हुई इससे संबधित 25 वीं आरसीईपी और टीएनसी की अन्‍य बैठकों के परिणामों की समीक्षा की जाएगी।
श्री प्रभु ने कहा कि पांच सालों के अथक प्रयासों और सघन वार्ताओं के बाद आरसीईपी की दूसरी बैठक के अंत में यह बात निकल कर आयी कि भारत आरसीईपी में एक बड़ी रचनात्‍मक भूमिका निभा रहा है और सभी सदस्‍य देशों की चिंताओं और आकांक्षाओं का ध्‍यान रखते हुए उनके बीच समन्‍वय बनाने और उनका मार्गदर्शन करने का काम कर रहा है। इससे यह सुनिश्‍चित हो रहा है कि छोटे देशों के अनुरोध को नजरअंदाज नहीं किया जा रहा है और संक्रमण काल से गुजर रहे विकासशील देशों को अपने यहां मनमाने तरीके से नीतियां तय करने की छूट नहीं मिल रही ताकि वस्‍तु व्‍यापार में सभी सदस्‍य देंशों के बीच ऐसी संतुलित वार्ताओं का मार्ग प्रशस्‍त हो जिसके परिणाम सभी के लिए लाभकारी साबित हों।
श्री प्रभु ने 14 नवंबर 2018 की बैठक के सफल आयोजन के लिए अध्‍यक्ष के तौर पर सिंगापुर द्वारा निभाई गई भूमिका की सराहना की और कहा कि इस दौरान, कई मंत्रिस्तरीय और विशेषज्ञों की बैठकों में पाँच अध्यायों के सफल समापन के परिणामस्वरूप अबतक ऐसे कुल 16 अध्‍यायों में से 7 संपन्‍न हो चुके हैं। आरसीईपी के व्यापार मंत्रियों की 12-13 नवंबर 2018 को आयोजित बैठक में सिंगापुर ने ‘पर्याप्त निष्कर्ष’ के बजाय ‘पर्याप्त प्रगति’ पर सहमति के लिए सफल प्रयास किए थे।
मंत्री स्‍तर की वार्ता में भारत द्वारा अपनाए गए लचीले रुख के कारण वार्ता के तीन अध्‍यायों (चैप्‍टरों) संस्‍थागत समाधान व्‍यवस्‍था, स्‍वच्‍छता, पादप स्‍वच्‍छता प्रयासों तथा मानक, तकनीकी नियमन एवं अनुरूप आकलन प्रक्रियाओं का सफल समापन संभव हो पाया। भारत ने संस्‍थागत प्रावधानों से जुड़े अध्‍याय में उस ‘आम सहमति’ के सिद्धांत पर लचीलापन दर्शाया जिसके अनुसार निर्णय प्रक्रिया में सभी सदस्‍य देशों की भागीदारी सुनिश्‍चित करने के लिए आरसीईपी का सचिवालय बनाये जाने को जरूरी माना गया।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) एक व्‍यापक मुक्‍त व्‍यापार समझौता है जिसके लिए 16 देशों के बीच वार्ताएं जारी हैं। इन 16 देशों में आसियान के 10 देश (ब्रुनेई, कंबोडिया,इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड एवं वियतनाम) और उनके छह एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) साझेदार देश ऑस्‍ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्‍यूजीलैंड शामिल हैं। अब तक छह मंत्रिस्तरीय बैठकें, सात अंतर-सत्र मंत्रिस्तरीय बैठकें और तकनीकी स्तर पर व्यापार वार्ता समिति के 24 दौर आयोजित किए जा चुके हैं।
आरसीईपी वार्ताओं के छठे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। बीते पांच वर्षों के दौरान विशेषज्ञ स्‍तर की 24 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं। इन वार्ताओं का आखिरी दौर 18-27 अक्‍टूबर 2018 को ऑकलैंड में संपन्‍न हुआ था। आरसीईपी की अबतक छह अंतर मंत्रिस्‍तरीय और सात अंतर सत्र मंत्रिस्‍तरीय बैठकें हो चुकी हैं। छठी मंत्रिस्‍तरीय बैठक 30-31 अगस्‍त 2018 को सिंगापुर में संपन्‍न हुई थी। सातवीं अंतर सत्र मंत्रिस्‍तरीय बैठक 12-13 नवंबर 2018 को सिंगापुर में हुई थी।