कानपुर में गंगा में मछलियों का शिकार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। यहां खुद पुलिस अपनी मौजूदगी में मछलियों का शिकार करवा रही है या यूं कहें कि बैराज समेत कई स्थानों पर स्थानीय पुलिस की शह पर मछलियों का शिकार किया जा रहा है।
कानपुर, चन्दन जायसवाल। कानपुर के कोहना थाना क्षेत्र स्थित गंगा बैराज पर एनजीटी के आदेशों को दरकिनार कर शिकारी मछलियों का शिकार कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस की शह पर पूरे मामले को अंजाम दिया जा रहा है। दरअसल ये मछली शिकारी रोज दर्जनों नावों में सवार होकर सुबह से शाम तक मछलियों का शिकार करते हैं। आपको बता दें कि बैराज से चंद क़दमों की दूरी पर पुलिस चौकी भी स्थित है फिर भी मछली शिकारी धड़ल्ले से इस काम को अंजाम दे रहे हैं। चौकाने वाली बात ये है कि ये मछली शिकारी पुलिस के सामने मछलियों का शिकार करते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी तमाशा देखती रहती है। स्थानीय निवासियों के अनुसार ये शिकारी स्थानीय पुलिस को शिकार करने के एवज में हर हफ्ते मोटा नजराना भेंट कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से कार्रवाई न करने के कारण इन शिकारियों के हौंसले और भी ज्यादा बुलंद हैं। मछली का अवैध शिकार और हर साल होली के बाद इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए मत्स्य विभाग व पुलिस ने शिकंजा कसने की तैयारी पूर्व में की थी। गंगाबैराज पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद के बाद गंगा में मछली मारने वालों पर नजर रखने के लिए खुफिया व विभागीय लोगों को लगाया गया था। शहर में गंगा नदी में अवैध मछली के शिकार को लेकर कई बार खूनी संघर्ष हो चुका है। इसी को देखते हुए पूर्व में मत्स्य विभाग की बैठक में होली के बाद निगरानी बढ़ाने की बात रखी गई थी। दूसरी तरफ ऐसे क्षेत्रों के थानों को भी अलर्ट रहने को कहा गया था। दबाव के चलते पुलिस ने शिकंजा कसते हुए गंगा बैराज में मछली मारने शिकारियों को कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजा फिर भी मछली का अवैध शिकार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इसी तरह कटरी क्षेत्र के साथ महाराजपुर, कोहना व नवाबगंज पुलिस ने अवैध शिकार करने वालों की धरपकड़ के लिए मुखबिर तंत्र भी लगा दिया है। वहीं मत्स्य विभाग ने मछली पकड़ने का ठेका लेने वालों के साथ विभागीय लोगों को निगरानी के लिए लगा दिया है। बताते चलें सिंचाई विभाग ने गंगा बैराज की गतिविधियों को देखते हुए सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद शुरू की थी जो किसी काम की साबित नहीं हुई।
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के हाल का आकलन तो समाचारों की सुर्खियों को देख कर लगाया जा सकता है। लेकिन यदि कानपुर की पुलिस की व्यवस्था को देखना है तो शहर में घुसते ही गंगा बैराज पर आकर आपको सब पता लग जाएंगा। यहां पुलिस को जेब भरने से मतलब दिखता है। सरकारी धन को नुकसान होता है तो होता रहे। गंगा में इन दिनों कोहना थाने की पुलिस खुद अपने डंडे के बल पर अवैध रूप से मछली पकड़ने के कारोबार को चलवा रही है।हालांकि वैसे तो गंगा को छोड़कर दूसरी नदियों मे में मछली पकड़ने का बकायदा ठेका निकलता है लेकिन जब पुलिस का हाथ माफिया के सिर पर हो तो सारे गलत काम भी सही हो जाते है।
पुलिस दबंग के माध्यम से कराती है कारोबार
वैसे तो यदि पुलिस सारे उगाही के काम खुद करने लगेगी तो लोगों की उगलियां उठने में देर नहीं लगेगी और अपने इसी अनुभव के चलते कानपुर पुलिस के थानेदार क्षेत्र के दबंग को ही इस तरह के काम सौंपते है। ऐसे ही शहर के गंगा बैराज पर जैसे ही आप कदम रखते है मछली पकड़ने की दर्जनों नांव बिना किसी भय और डर के गंगा से मछली पकड़ने का काम करती नजर आ जाएंगी।
राजस्व को लाखों का चूना लग रहा है
सरकार और उसके काम शायद कानपुर पुलिस के ठेंगे पर है। शायद इसी के भरोसे ही गंगा में मछली पकड़ने का कारोबार पुलिस की नाक के नीचे बिना किसी रोक टोक के चलता रहता है। सरकार बकायदा गंगा को छोड़ दूसरी नदियों, तालाबों, नहरों में लोगों को मछली पकड़ने का ठेका-पट्टा देती है और उसके एवज में सरकारी खजाने में लाखों रुपए जमा करने पड़ते है लेकिन यदि किसी की पुलिस से सेटिंग ठीक हो तो सारे अवैध कारोबार को भी वैध बनने में देर नहीं लगती।
ठेका कहीं का काम कहीं पर
मछली पकड़ने का ठेका बकायदा तय प्रक्रिया के तहत किया जाता है और इसमें ठेका लेने वाले को बकायदा जगह निर्धारित की जाती है लेकिन यदि ठेकेदार की लोकल पुलिस से सेटिंग ठीक हो तो उसको घूम घूम कर मछली मारने का अधिकार स्वयं मिल जाता है। यही कारण है कि ठेके दार गंगा में मछली मारने के अवैध कारोबार करने से नहीं चूकते।
इसकी पड़ताल करने हमारी टीम गंगा बैराज पहुंची तो हकीकत सामने आ गई। गंगा बैराज चौकी से महज चंद कदमों की दूरी पर गंगा में मछलियों का अवैध शिकार हो रहा था और बाकायदा तराजू कांटा बाट लगाकर शिकारियों द्वारा मारी गई मछलियों की तौल की जा रही थी। इन सभी मछलियों को थर्माकोल के डिब्बे में सुरक्षित रख मछली मंडी में माल भेजने की तैयारी हो रही थी। मीडिया के कैमरे देख वहां भगदड़ मच गई और महज़ लेबर ही वहां पर बचे। गंगा बैराज चौकी इंचार्ज मौके से नदारद रहे और कोहना इंस्पेक्टर बुलाने के बावजूद भी मौके पर नहीं आएं, दिखावे के लिए थाने की जीप मौके पर भेज दी। मीडिया के कैमरे में यह सब नजारा कैद होने के चलते मजबूरन मछलियों से लदी लोडर को पुलिस को पकड़ना पड़ा और कार्रवाई करनी पड़ी। मछली के अवैध कारोबार को लेकर जिले के लगभग सभी जिम्मेदार अफसरों से बात करने की कोशिश की गई लेकिन कोई न कोई बहाना बनाकर एक भी अधिकारी कैमरे के सामने नहीं आया। मौके पर मिले एक युवा पुलिसकर्मी ने लोडर को दौड़ाकर कर चालक को पकड़ा और माल ज़ब्त कराया। उसकी बातचीत से साफ है कि कहीं ना कहीं थाना पुलिस की मिलीभगत के चलते वे लोग भी जल्दी इन शिकारियों पर हाथ नहीं डालते।