हाथरस, नीरज चक्रपाणि। आचार्य सीपूजी महाराज ने कहा कि भागवत कथा अमृत कलश है। इसकी एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत जिज्ञासा का विषय है। हम जीवन में हर क्षण जाने अनजाने में पाप कर जाते हैं। कलियुग में भक्ति ही एकमात्र उपाय है, जिससे दुर्लभ मनुष्य जीवन को मंजिल तक पहुंचा सकते हैं। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए जिस तरह जोश और होश की जरूरत होती है, उसी तरह भागवत श्रवण में भी जोश के साथ होश जरूरी है। भागवत भक्त और भगवान के एकाकार होने का सेतु है। इससे पहले बैंडबाजों और कीर्तन मंडली के साथ कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा बालाजी सदन हनुमान गली से प्रारंभ हुई। कलश यात्रा में महिलाएं कलश धारण किए चल रहीं थीं। इसमें गंगा सरन वार्ष्णेय भागवत ग्रंथ को सर पर धारण किए चल रहे थे। कलश यात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। हनुमान गली से कलश यात्रा मुख्य-मुख्य बाजार से होते हुए अपना वाली धर्मशाला गांधी चौक पहुंची।
इस मौके पर गंगासरण वार्ष्णेय, हरिमोहन वार्ष्णेय, विष्णु मोहन, रामकिशन, राधेश्याम, श्रीमोहन, अशोक, उमेश, अनुज वार्ष्णेय, अनिल वार्ष्णेय, विशाल वार्ष्णेय, गोपाल वार्ष्णेय, कन्हैया लाल वार्ष्णेय आदि मौजूद थे।