Monday, November 25, 2024
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कहिये नेता जी क्या कहना है !

कही कमल को खिलने का मौका तो नही दे गए कमलनाथ ! क्योंकि जिस भ्रष्टाचार के मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाकर कांग्रेस अपना जनाधार बढ़ाने का प्रयास कर रही थी अब उसी भ्रष्टाचार के जाल मे खुद उलझती प्रतीत हो रही। हाल ही में न्यूज चैनलों के ओपेनियन पोल में जो कांग्रेस 90 सीटे जीतती दिख रही थी अब वो आकड़ा 60 पर सिमट रहा। इस गिरावट का प्रमुख कारण म0 प्र0 में कमलनाथ सरकार का हवाला भ्रष्टाचार मुख्य रूप से राहुल गांधी के लिए मुसीबत बन गयी है। ईडी और सीबीआईं ने बेहतरीन कार्य किया है। भले ही विपक्ष मुख्य सत्ताधारी पार्टी पर ये आरोप प्रत्यारोप लगाये की ईडी और सीबीआईं सरकार के इसारे पर बदले की भावना से कार्य कर रही पर आप आरोप लगा कर खुद को बचा भी नहीं पा रहे। आखिर आप पकड़े जा रहे आपकी चोरी सरे आम उजागर हो तो रही मतलब आपने भ्रष्टाचार किया है तभी आप ई डी के हत्थे चढ़ रहे। सरकार बेशक अपना काम करा रही पर आप के पास से अवैध दस्तावेज और बेनामी सम्पत्ति व बड़ी मात्रा में नगद मिल रहे तो आप बिल्कुल भ्रष्ट साबित हो रहे। ममता बेनर्जी भी खुद के पैर पर कुल्हाड़ी चला चुकी है क्योंकि शारदा चिटफंड मामले में सीबीआईं को रोकने के लिए सत्ता का दुरुपयोग जिस प्रकार दीदी ने किया यदि हिटलर जिंदा होता तो ममता दीदी की तानाशाही देख आत्महत्या कर लेता।
दी हिन्दू अखबार ने फरवरी में राफेल सौदे के एक दस्तावेज का आधा हिस्सा काट कर (छुपाकर) आधा हिस्सा छापा था क्योंकि यदि छुपाया गया आधा हिस्सा भी वो छाप देता तो उसके द्वारा छापे गए आधे हिस्से की धज्जियां उड़ जाती। आधी छुपाकर आधी छापी गयी उस खबर को सरकार के खिलाफ महत्वपूर्ण सबूत बताते हुए प्रशांत भूषण, अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा की तिकड़ी सुप्रीमकोर्ट गयी थी। इस तिकड़ी ने उसी अधूरी खबर के आधार पर राफेल मामले की फिर से सुनवाई की पुनर्विचार याचिका दायर की थी। केन्द्र सरकार ने उस दस्तावेज़ को चोरीे किया गया अवैध दस्तावेज बताकर उसके आधार पर की जा रही पुनर्विचार याचिका की मांग को खारिज करने की मांग की थी। आज का सुप्रीमकोर्ट का निर्णय केवल इतना है कि इस आधार पर किसी दस्तावेज़ को खारिज़ नहीं किया जा सकता कि वो कैसे प्राप्त किया गया है। अतः भूषण शौरी सिन्हा की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीमकोर्ट सुनवाई करेगा। उसकी सुनवाई के बाद यह तय होगा कि जिस अधूरी छापी गयी खबर को भूषण शौरी सिन्हा की तिकड़ी बहुत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक बता रही है, क्या वह वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है.? या नहीं है.? इसके पश्चात ही सुप्रीमकोर्ट यह फैसला करेगा कि राफेल मामले की सुनवाई फिर से की जाए कि नहीं की जाए। अतः सच तो यह है कि सुप्रीमकोर्ट ने उस दस्तावेज़ की मेरिट पर अभी तक विचार ही नहीं किया है। उसकी प्रासंगिकता को भी जांचा परखा नहीं है।
ज्ञात रहे कि इससे पहले भी जस्टिस लोया की मौत से सम्बन्धित सुप्रीमकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रशांत भूषण ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जो स्वीकार भी ली गयी थी। लेकिन सुनवाई के दौरान उसकी याचिका की धज्जियां उड़ गई थी और 31 जुलाई 2018 को सुप्रीमकोर्ट ने उस याचिका को खारिज़ कर दिया था। आज भी पुनर्विचार याचिका की मांग स्वीकार की गई है। 99% मामलों में पुनर्विचार याचिका स्वीकार की जाती है।
अतः आज भी इसका स्वीकारा जाना कोई आसमान टूट जाने सरीखा नहीं है। आज के फैसले से राफेल डील का भी कोई लेनादेना नहीं है। अब पुनर्विचार याचिका पर दोनों पक्षों के तथ्य और तर्क सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट यह फैसला करेगा कि राफेल डील पर दोबारा सुनवाई की जाए कि नहीं की जाए।
अतः आज के फैसले से न्यूजचैनल जिस तरह अचानक बुरी तरह बलबलाए हुए और कांग्रेसी जिस तरह अचानक बुरी तरह बौराए हुए नज़र आने लगे हैं। उसे देख सुनकर भ्रमित मत होइए। राफेल डील पर CAG की बहुत विस्तृत रिपोर्ट आ चुकी है। जिसपर महीनों तक अपनी खोपड़ी खपाने-लड़ाने के बावजूद भूषण शौरी सिन्हा की तिकड़ी और कांग्रेसी फौज किसी प्रकार की कोई खामी नहीं ढूंढ पायी है। सुप्रीमकोर्ट द्वारा राफेल डील को दी गयी क्लीनचिट आज भी ज्यों की त्यों अस्तित्व में है। अपने उस फैसले पर किसी प्रकार की कोई रोक सुप्रीमकोर्ट ने नहीं लगाई है। अतः न्यूजचैनली नौटंकी तथा भारतीय राजनीति में झूठ का सबसे बड़ा कारखाना बनती जा रही कांग्रेस, भारतीय राजनीति का पहला और इकलौता शनीचर सिद्ध हो चुके केजरीवाल सरीखों के शोरगुल हंगामे से भ्रमित मत होइए। मतदान करिये और देश को एक बेहतर सरकार देने की कोशिस मे सक्रिय भूमिका अदा करिये।- पंकज कुमार मिश्रा जौनपुरी