सदस्यों से नई शुरूआत करने का अनुरोध किया
सदस्यों से राज्यसभा में स्वत निरस्त हो जाने वाले विधेयकों पर सुझाव मांगे
वरिष्ठ सदस्यों के प्रतिनिधित्व वाली राज्यसभा को औरों के लिए रोल मॉडल बनना चाहिएः उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति श्री एम. वेंकैया नायडू ने विधायिकाओं के कामकाज में आने वाली बाधाओं से देश में लोकतंत्र खतरे में पड़ने की बनती धारणा के खिलाफ सांसदों को आगाह करते हुए उन्हें अपने कामकाज के तरीकों और सोच में बदलाव लाने की सलाह दी है।
श्री नायडू ने आज सदन में कहा कि विधायिकाओं के कामकाज में लगातार बाधा उत्पन्न होने से इसे लेकर लोगों के बीच नकारात्मक धारणा बनने के बारे में वे पहले भी कई बार सदस्यों को आगाह कर चुके है। उन्होंने कहा कामकाज में बाधा आने से कार्यदिवसों का भारी नुकसान होता है जिसकी वजह से कई विधेयक पारित नहीं हो पाते तथा लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो जाने पर ऐसे विधेयक राज्य सभा में स्वतः निरस्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रश्न काल के व्यर्थ जाने वाले हर घंटे का मतलब होता है सरकार द्वारा लागू की जाने वाली नीतियों से जुड़े मुद्दों पर सदस्यों द्वारा सवाल पूछे जाने के अवसरों का खत्म होना।
उन्होंने राज्यसभा के पिछले सत्र में सदन की कार्यवाही में उत्पन्न बाधाओं का जिक्र करते हुए कहा कि वे इससे बेहद व्यथित हैं। उन्होंने कहा की आम जनता भी सदन में इस तरह काम होने से बहुत विचलित और भ्रम की स्थिति में है।
उन्होंने कहा, ‘हमारी जनप्रतिनिधित्व वाली संस्थाओं पर से लोगों का विश्वास और भरोसा खत्म होता जा रहा है। इसे रोकना होगा।’
श्री नायडू ने कहा कि देश के लोगों की अपेक्षा है कि वरिष्ठ सदस्यों वाली राज्यसभा बेहतर तरीके से काम करे। ऐसे में हमें इस बारे में उदाहरण पेश करना चाहिए। ऐसा सौभाग्य कुछ लोगों को ही मिलता है। उन्होंने कहा कि लोगों की अपेक्षाएं बहुत अधिक है ऐसे में यदि हम इन्हें पूरा नही कर पाए तो यह हमारे राष्ट्र की विफलता होगी। हम ऐसा कभी नहीं होने दे सकते।
उन्होंने सभी सांसदों से नए सत्र की शुरूआत के साथ ही नई सोच के साथ काम करने की अपील करते हुए कहा, ‘हमारी संसद को 2022 तक न्यू इंडिया के निर्माण में अहम भूमिका निभानी है। हमारे लिए यह गौरव की बात है।’
उन्होंने दो तिहाई युवा आबादी वाली जनसंख्या के साथ भारत को एक आकांक्षी देश बताते हुए कहा कि देश का हर नागरिक विकास प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने का इच्छुक है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, कि इस परिप्रेक्ष्य में हमें अपनी व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने तथा संस्थाओं को ज्यादा तेजी से अपनी जवाबदेही निभाने लायक बनाने के साथ ही शासन के तौर-तरीकों को जन कल्याण केन्द्रित बनाने का काम करना होगा। संसद में बैठे हमलोंगों पर इसकी बड़ी जिम्मेदारी है।
उन्होंने सदस्यों को स्मरण कराया कि,वरिष्ठ सदस्यों का सदन होने के कारण राज्यसभा पर अतिरिक्त जिम्मेदारी है ऐसे में “लोग हमसे सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर एक परिपक्व दृष्टिकोण, निष्पक्ष और संवेदनशील चिंतन तथा सार्थक विचार-विमर्श की अपेक्षा करते हैं। हमें उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा और अन्य विधायिकों के लिए रोल मॉडल बनना होगा।”
श्री नायडू ने राज्यसभा में स्वतः निरस्त हो जाने वाले विधेयकों और संसद को निर्णय लेने वाला अधिक प्रभावी मंच बनाए जाने के बारे में सदस्यों से सुझाव भी मांगे।