श्रमिकों ने मजदूरी व कार्य दिवस बढ़ाने की लगायी गुहार
कानपुर देहात, जन सामना ब्यूरो। अकबरपुर तहसील के विकास खण्ड जलालपुर नागिन के मजरा झम्मनपुरवा के एक तालाब जिसका गाटा संख्या 487 क्षेत्रफल लगभग 3 बीघा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी योजना के तहत तालाब जीर्णोद्वार के तहत जल संचयन हेतु खोदे जा रहे तालाब पर अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा एवं राजस्व विभाग रेणुका कुमार ने पहुंचकर कडी धूप में फावड़ा चलाकर श्रमदान किया। इस मौके पर डीएम, सीडीओ ने भी श्रमदान किया। वहीं उपस्थित मनरेगा महिला पुरुष श्रमिको ने मजदूरी बढ़ाने एवं कार्य दिवस बढ़ाने का अनुरोध किया। वही उपस्थित ग्रामीणों ने राशन कम मिलने की भी शिकायत दर्ज कराई इस मामले में अपर मुख्य सचिव ने सीडीओ को जांच करने के निर्देश दिए हैं।
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा एवं राजस्व विभाग रेणुका कुमार ने कहा कि जलसंरक्षण आज की महती आवश्यकता है यदि हमलोग अभी अब से नही चेते तो धीरे-धीरे पानी का सतह नीचे गिरने के साथ ही पेड़, पौधों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। जल संरक्षण से लोगों को असानी से पेयजल एवं सिंचाई सुविधाएं मुहैया होगी तथा भूगर्भ के जलस्तर को रोकने में मदद मिलेगी। इसलिए लोगों को संकल्पबद्ध होकर इस वर्षा ऋतु में ही शत-प्रतिशत जल संरक्षण करना नितान्त आवश्यक है। जल संरक्षण से ही जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है।
उन्होंने ग्राम वासियों से कहा कि वर्षा का पानी रोकने हेतु ग्राम प्रधान अपने खण्ड विकास अधिकारियों से विचार विमर्श करके मनरेगा के माध्यम से बेहतर तालाब का निमार्ण कर सकते हैं इससे गांव में जल संरक्षण भी होगा तथा स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी मुहैया होगा। उन्होने कहा कि गांव के विकास के लिए देश के मा0 प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मा0 मुख्यमंत्री जी प्रतिबद्ध है तथा गांव के विकास के लिए धन की कोई कमी नही है। उन्होने कहा कि तालाब के अलावा गांव में सामुदायिक भवन या जंहा पर पंचायत भवन नही हैं का भी निर्माण कराया जा सकता है। गांव में भू-जल स्तर में सुधार एवं निकट भविष्य में जलापूर्ति, भूजल स्तर को ऊपर उठाने एवं वर्षा जल संचयन के लिए सभी घरों में वर्षाजल संचयन ढांचा बनाने के लिए प्रधानमंत्री जल संचयन योजना का शुभारम्भ किया गया है। जल, जीवन के लिये सबसे अहम प्राकृतिक संसाधन है। वैज्ञानिकों के मतानुसार आगामी दशकों में यह विश्व के कई क्षेत्रों में एक गंभीर अभाव की स्थिति में चला जायेगा। यद्यपि जल पृथ्वी में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ है, फिर भी यह समान रूप से वितरित नहीं है। उन्होने कहा कि दुनियाभर में पानी की कमी निम्न कारणों से बढ़ रही है जैसे सूखे, सिंचाई की बढ़ती मांग, औद्योगिक मांग, प्रदूषण, जल संसाधनों के प्रयोग में कमी और जल की व्यर्थ बर्बादी और गैर जिम्मेदाराना रवैया। उन प्रयासों पर जोर देने की आवश्यकता है जो कि सूखे के मौसम में, अधिक से अधिक वर्षाजल को संग्रहित कर सके। स्थानीय स्तर पर वर्षा के पानी का संचयन या संग्रहण को या तो जलाशयों, टैंकों या झीलों में जल को संग्रहित करके रखने के माध्यम से हो सकता है अथवा भूमिगत जल के पुनर्भरण द्वारा किया जा सकता है।
इस अवसर पर जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने कहा कि बढ़ती हुई घरेलू, औद्योगिक और कृषि से संबंधित कार्यों की मांग की पूर्ति के कारण, पानी की उपलब्ध मात्रा में कमी हो रही है और यह स्थिति भविष्य में और गंभीर हो सकती है। ऊपर से, पिछले कुछ दशकों में देश में सिंचाई का विस्तार करने का प्रयास किया गया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि हमारी जल संपदा का अत्यधिक दोहन हुआ है। हमारे बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण ने पानी की मांग को बढ़ा दिया है। उपरोक्त दिये गये इन कारणों की वजह से देश के कई भागों में जल का भारी अभाव हो गया है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि हम जल को संरक्षित रखें और उसका दुरुपयोग होने से बचायें।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी जोगिन्दर सिंह, पीडी शिव शंकर पाण्डेय, डीडीओ प्रद्युम कुमार यादव, बीडीओ अशोक कुमार, जिला समन्वयक, ग्राम प्रधान आदि लोग उपस्थित रहे।
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