ये छोटी सी कहानी है उस बुढ़िया की जो हमारे कालेज के बाहर अक्सर बैठती थी उबले हुए बेर बेचती थी और हम सभी सहेलियाँ छुट्टी का इंतजार करते थे कब छुट्टी हो कब हम बूढ़ी अम्मा के पास बेर खाने जायें , दो महीने गर्मी की छुट्टियों में बूढ़ी अम्मा और उनके बेर हम सब बहुत मिस करते थे, हमें लगता अम्मा अनाथ है उसका कोई नहीं है और बेर बेचकर अम्मा पेट पालती थी कई बार अम्मा से मैं पूछी भी की अम्मा तुम अकेली हो का घर में और कोई नहीं है तुम्हारे, अम्मा खामोश रह जाती जैसे मेरे सवाल का जवाब ढूंढ रही हो पर बोलती कभी कुछ नहीं थी, एक बार अम्मा दो तीन दिन बेर लेकर नहीं आई मुझे अम्मा की चिन्ता होने लगी, मुझसे जब रहा नहीं गया तो मैं पूछते पता करते सबसे अम्मा के घर जा पहुंची, मैं बाहर से ही आवाज दे रही थी इतने में एक दस बारा साल का लड़का दरवाजा खोलकर बाहर आया मैंने उससे कहा बेटा अम्मा कहां है वो बेर बेचने क्यूं नहीं आती वो लड़का गुमसुम सा मुझे देखता रहा फिर मेरा हाथ पकड़कर अन्दर ले गया मैंने देखा अम्मा बिस्तर पर बेसुध पड़ी थी और सात आठ बच्चे छोटे छोटे अम्मा को घेरकर बैठे थे मैने अम्मा के माथे पर हाथ रखा बुखार से माथा तप रहा था मैं उन बच्चों से पूछने लगी की तुम्हारी दादी हैं क्या…?? तुम्हारे मम्मी पापा कहां है उन बच्चों ने कोई जवाब नही दिया मैं अम्मा को सहारा देकर उठाई और अस्पताल ले गई उनको भर्ती करवाकर डाक्टर के देख रेख में छोडकर वापस अम्मा के घर जा पहुंची साथ में कुछ खाने का सामान भी लेकर गई थी अब मुझे चिंता होने लगी इन बच्चों के मां बाप कहां है अपनी मां को इस उम्र में इस हालत में अपने बच्चों की जिम्मेदारी सौंपकर आखिर वो लोग गये कहां मै घर के बाहर आस पड़ोस में पता करने निकली बाजू वाले घर में एक बुजुर्ग बैठे मिल गये मैंने उनसे पूछा की दादा वो बगल वाली अम्मा के बेटे बहू बेटी सब कहां गये अपने बच्चों को छोड़कर तब दादा ने जो कहानी सुनाई उस कहानी से मेरे दिल में अम्मा के लिए इज्जत और प्यार दस गुना और बढ़ गया दरअसल अम्मा एक अनाथ लड़की थी जिसके पैदा होते ही कोई कूड़ेदान में फेक गया था मोहल्ले की एक गरीब औरत अम्मा को उठा लाई और उनकी परवरिश की जब अम्मा कुछ बड़ी हुई तो वो औरत भी चल बसी उसके बेटे ने अम्मा से शादी कर ली पर बहुत साल तक अम्मा को बच्चे नहीं हुए और अम्मा के पति भी चल बसे फिर अम्मा ने अपना मकसद बना लिया जहां भी सुनती की कोई बच्चा फेक गया है अम्मा बच्चा ले आती अम्मा के पास ऐसे दस बच्चे थे अम्मा बेर बेचकर उन सब बच्चों का पेट पालती थी एक अनाथ औरत कितने अनाथों का पेट भर रही है
अम्मा अब ठीक हो चुकी है फिर अपने काम में जुट गई है बेर लाना बेचना और बच्चों का पेट पालना तुम्हें सत सत नमन अम्मा।
आरती त्रिपाठी सीधी मध्य प्रदेश