पशुओं के भागने सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होने के बावजूद भी कार्यों में शिथिलता बरतने वाले दोषी अधिकारियों के विरुद्ध की जाये नियमानुसार कड़ी कार्यवाहीः राजेन्द्र कुमार तिवारी
लखनऊ, जन सामना ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी ने जनपद लखनऊ के विकास खण्ड चिनहट के ग्राम फर्रुखाबाद में गो-आश्रय स्थल का औचक निरीक्षण के समय पशुओं के भागने सम्बन्धी जानकारी प्राप्त होने पर अपने कार्यों में शिथिलता बरतने वाले दोषी अधिकारियों के विरुद्ध नियमानुसार कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि यदि पशुओं के भागनेध्चोरी तथा वायर फेसिंग को काटने के सम्बंध में ससमय विभागध्ग्राम पंचायत द्वारा थाना मड़ियांव में सूचना दी हो अथवा प्राथमिकी दर्ज कराने पर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न की गई हो तो वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, लखनऊ सम्बंधित चैकी प्रभारीध्उत्तरदायी पुलिस अधिकारी को निलंबित करें। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस को ससमय सूचना दी ही नहीं गई हो तो ग्राम विकास अधिकारी को निलम्बित करने के साथ-साथ पशु चिकित्साधिकारी, डाॅ0 अनुराधा सिंह के विरुद्ध कार्यवाही की जाये तथा मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, लखनऊ का स्पष्टीकरण प्राप्त किया जाये।
मुख्य सचिव ने सम्बन्धित अधिकारियों को यह निर्देश औचक निरीक्षण के समय पशु उपस्थिति रजिस्टर में माह जून, 2019 में 11 पशु, 07 अगस्त, 2019 को 09 पशु तथा प्रत्येक माह कुछ न कुछ पशुओं का आश्रय स्थल से भाग जाना प्रदर्शित होने पर दिये। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पशुओं का एक साथ भाग जाना किसी भी दशा में संतोष जनक स्थिति को नहीं दर्शाता है। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी, लखनऊ को पशुओं के भागने तथा अन्य प्रदर्शित कर्मियों के सम्बन्ध में 02 दिवस के अन्दर स्थलीय निरीक्षण कर आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।
श्री राजेन्द्र कुमार तिवारी ने निरीक्षण के समय वृक्षारोपण के अभावध्अधोमानक के शेड निर्माण एवं बलुई भूमि पर तालाब खोदन में हुई शासकीय धनराशि के अपव्यय, मौके पर भूसे का स्टाॅक रजिस्टर न प्रस्तुत करने पर ग्राम्य विकास अधिकारी श्री दीपक चैधरी को निलम्बित करने एवं पशु चिकित्साधिकारी डाॅ0 अनुराधा सिंह को प्रतिकूल प्रविष्टि दिये जाने के भी निर्देश दिये हैं।
मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव पशुधन को समस्त जिलाधिकारियोंध्मुख्य विकास अधिकारियों को उनके स्तर से गो-आश्रय स्थल का वृहद् स्तर पर सतत् निरीक्षण किये जाने तथा निरीक्षण के समय आने वाली कमियों का यथासम्भव स्थानीय स्तर पर मौके पर निराकरण किये जाने के निर्देश भिजवाने के लिये कहा।
औचक निरीक्षण के समय ग्राम प्रधान द्वारा अवगत कराया गया कि 50 पशुओं पर एक गो-पालक (चैकीदार) रखने की व्यवस्था है, जिसके फलस्वरूप रात्रि में चैकीदार न होने से पशुओं के भागने की सम्भावनायें बनी रहती हैं। कुछ अराजक तत्व बाउण्ड्री वाॅल की सुरक्षा हेतु लगे तार को काट ले जाते हैं, जिसकी सूचना पुलिस को देने पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इस पर मुख्य सचिव ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को उक्त आश्रय स्थल पर रात्रि में भी चैकीदारी हेतु व्यवस्था करने के निर्देश दिये।
पशुपालन विभाग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार इस आश्रय स्थल पर कुल 60 पशु की उपस्थिति सूचित की गई थी। विभाग द्वारा यह अवगत कराया गया है कि 40 पशुओं के आश्रय हेतु शेड का निर्माण किया गया था। आश्रय स्थल पर बोरिंग की व्यवस्था भी अवगत कराई गई तथा तालाब खोदा जाना भी अवगत कराया गया।
निरीक्षण के समय सम्पूर्ण परिसर में वृक्षारोपण की भारी कमी पाई गई। आश्रय स्थल परिसर में विभिन्न प्रकार के जंगली पौधे यथा धतूरा, मकोए आदि पाये गये। इससे स्पष्ट है कि ग्राम पंचायत में इस मानसून सत्र में इस आश्रय स्थल पर वृक्षारोपण पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया न ही पशु उपयोगी छायादार पौधे की व्यवस्था कराई गई।
मौके पर पशु उपस्थिति रजिस्टर के अवलोकन से ज्ञात हुआ की माह जून, 2019 में 11 पशु भाग गये। 07 अगस्त, 2019 को 09 पशु भाग गये। इसके अतिरिक्त प्रत्येक माह कुछ न कुछ पशुओं का आश्रय स्थल से भाग जाना उपस्थित रजिस्टर में प्रदर्शित हो रहा था। बड़ी संख्या में पशुओं का एक साथ भाग जाना किसी भी दशा में संतोष जनक स्थिति को नहीं दर्शाता है। इस सम्बंध में पशु चिकित्साधिकारी डाॅ0 अनुराधा सिंह व ग्राम्य विकास अधिकारी, श्री दीपक चैधरी द्वारा अवगत कराया गया है कि जून में भागे पशु के सापेक्ष थाना मड़ियाँव में एफ0आई0आर0 दर्ज कराई गई थी किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई। 07 अगस्त, 2019 को जो 09 पशु भागे थे उसके सापेक्ष भी मड़ियांव थाने में एफ0आई0आर0 हेतु तहरीर दी गई थी। किन्तु पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। मौके पर उपस्थित थाना प्रभारी, मड़ियांव द्वारा अवगत कराया गया कि उनकी जानकारी में इस प्रकार की कोई भी शिकायत थाने में प्राप्त नहीं हुई।
अतएव मुख्य विकास अधिकारी, लखनऊ दो दिवस के अन्दर स्थलीय निरीक्षण करके वास्तविक स्थिति पता करें, यदि जून में भागे 11 पशुओं की एफ0आई0आर0 व 07 अगस्त को भागे हुए 09 पशुओं के सापेक्ष थाने में तहरीर दी गई है तथा पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। तो सम्बंधित चैकी प्रभारी के विरूद्ध निलंबन की कार्रवाई की जाये। यदि पशुओं के भागने के सापेक्ष ग्राम्य विकास अधिकारी द्वारा पुलिस को ससमय एफ0आई0आर0 हेतु संसूचित नहीं किया है तो ऐसी दशा में उक्त दोनों अधिकारियों के विरूद्ध निलंबन की कार्रवाई की जाये।
पशु आश्रय स्थल पर निर्मित शेड का निरीक्षण किया गया, शेड की लम्बाई-चैड़ाई से स्पष्ट है कि 30 पशुओं से अधिक वहां पर नहीं रखा जा सकता है। जिससे स्पष्ट है दर्शाये गये 56 पशुओं में से 26 पशुओं के लिए कोई भी आश्रय स्थल नहीं है। सम्पूर्ण परिसर में मात्र 02 बड़े पेड़ों का सहारा है। एक तरफ से शेड टूटा हुआ पाया गया। जबकि मौके पर अवगत कराया गया था कि शेड का निर्माण फरवरी, 2019 में हुआ था। ऐसी दशा में शेड का टूटा पाया जाना अधोमानक का निर्माण दर्शाता है।
पशुओं को खिलाने हेतु निर्मित नांद खुले में पाई गईं। ऐसी दशा में बारिश/गर्मी के समय पशुओं को भोजन आदि में अत्यधिक असुविधा का सामना करना पड़ता होगा। मौके पर भूसे का स्टाॅक उपस्थित नहीं पाया गया। इस सम्बंध में पशु चिकित्साधिकारी तथा ग्राम्य विकास अधिकारी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाये।
आश्रय स्थल पर खोदे गये तालाब का निरीक्षण करने पर पाया गया कि तालाब पूर्णतया बलुवी भूमि पर खोदा गया जहां पर पानी का रूक पाना किसी भी दशा में सम्भव नहीं था। मौके पर भी तालाब सूखा पाया गया। अतएव ऐसी भूमि पर तालाब खोदा जाना शासकीय धनराशि का अपव्यय है इस हेतु ग्राम्य विकास अधिकारी दोषी पाये गये।
निरीक्षण के समय मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, लखनऊ, पशु चिकित्साधिकारी, डाॅ0 अनुराधा सिंह, ग्राम्य विकास अधिकारी श्री दीपक चैधरी, ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत, फर्रूखाबाद व थाना प्रभारी, मड़ियांव उपस्थित थे।