निर्वाचन आयोग चिल्लाता रहा पर अधिकारियों की लापरवाही जारी रही
70 प्रतिशत का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाए कनपुरिए
मायूसी और गुस्से से भरे मतदाता लौटे घरों को
हजारों पुराने मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में दिखे गायब
बूथ का पता न होने भटकते रहे तमाम मतदाता
शिकायत करने पर आलाधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे
पंकज कुमार सिंह——————
कानपुर। निर्वाचन आयोग के तमाम प्रयासों के बावजूद कानपुर जिले के हजारों वाशिंदे मतदान के अधिकार से वंचित रह गए। सैकड़ों मतदाता निर्वाचन आईडी लिए घूमते रहे लेकिन मतदाता सूची में नाम न होने से वोट नहीं डाल सके। कई बूथ पर तो ऐसे मतदाता दिखे जिनका-पता तो ठीक था परन्तु फोटो किसी और की थी ऐसे में उन्हें भी मतदान से महरूम रहना पड़ा। लाख कोशिशों के बावजूद मतदाताओं की सहूलियतों पर निर्वाचन आयोग चिल्लाता रहा लेकिन सरकारी मशीनरी अपने ढर्रे पर कायम ही रही।
रविवार को प्रदेश के 12 जिलों में तीसरे चरण की वोटिंग सम्पन्न हुई। अंतिम मतदान के बाद कानपुर जिले का मतदान 57.10 प्रतिशत दर्ज किया गया। जिला प्रशासन ने इस बार विधान सभा के चुनाव में सत्तर प्रतिशत का आंकड़ा पार करने का लक्ष्य रखा था। इसी के मद्देनजर तमाम जागरूकता हेतु जिला प्रशासन के अलावा समाजसेवी संस्थाओं ने रैलियां आयोजित की, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद यह आंकडा छूना़ दूर की कौड़ी ही साबित हुआ।
‘जन सामना टीम’ ने कानपुर जिले के पोलिंग बूथों पर नजर दौड़ाई तो निर्वाचन आयोग के सपनों को तार-तार होते पाया। कई बूथों पर मतदाताओं के नाम ही वोटर लिस्ट में नहीं थे। कई अपने मतदाता परिचय पत्र लिए घूमते दिखे और अन्त में हतास होकर मायूसी दर्शाते और गुस्से से भरकर घर लौटते दिखे। हजारों ऐसे मतदाता थे जो पिछले चुनावों में वोट डालते आ रहे है लेकिन इस बार उनका नाम वोटर लिस्ट से गायब था। कई पोलिंग बूथ पर ऐसे नजारे देखने को मिले जहां बूथ का पता न होने से मतदाता, भटकते दिखे। सरकारी मशीनरी की लापरवाही कहें या कुछ और लेकिन यह लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक ही है।
विश्वकर्मा परिवार रहा मतदान से वंचित
कल्याणपुर पनकी रोड निवासी विश्वकर्मा परिवार का एक भी सदस्य मतदान नहीं कर सका। परिवार के मुखिया रमाशंकर विश्वकर्मा ने बताया कि पहले वोट डालते रहे लेकिन इस बार वोटर लिस्ट में नाम न होने से मतदान से वंचित रहे। पत्नी निर्मला विश्वकर्मा, बेटे हितेश विश्वकर्मा, आलोक विश्वकर्मा, बहू वंदना और मीनाक्षी भी मतदान से वंचित रहीं।
एक विश्वकर्मा परिवार ही उदाहरण नहीं कहा जा सकता अगर जमीनीं तहकीत कर ली जाये तो शायद स्थानीय स्तर के कर्मचारियों/बीएलओ की कारगुजारियों के बारे में पता चल जायेगा।
निर्वाचन आयोग के आदेशों की खूब उड़ी धज्जियां
निर्वाचन आयोग के साफ निर्देशों के बावजूद पोलिंग बूथ पर नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। आयोग के साफ निर्देश थे कि कोई भी व्यक्ति मतदान केन्द्र में मोबाईल फोन, कैमरा आदि लेकर प्रवेश नहीं कर सकता, इतना ही नहीं मीडियाकर्मियों के लिए भी मतदान केन्द्र के अन्दर फोटोग्राफी करना अथवा वीडियोग्राफी करना मना था और इसीलिए चैकिंग करने हेतु पोलिंग बूथ पर सुरक्षा कर्मी भी तैनात रहे। इसके बावजूद पोलिंग बूथ के अन्दर के फोटो खीचे गए और सोशल मीडिया पर दौड़ते दिखे। यहां तक कि वोट डालते वक्त के ईवीएम के साथ भी फोटो खूब वायरल हुए हैं।
जब मतदाता ने डीएम को लगाया फोन
कल्याणपुर में वयोवृद्ध मतदाता आनन्द स्वरूप कटियार जवाहरलाल इंण्टर काॅलेज पोलिंग बूथ पर गए तो देखा कि मतदाता सूची में उनके पिता का नाम गलत अंकित है ऐसे में वह वोट नहीं डाल सके। आनन्द स्वरूप ने तत्काल ही डीएम कौशल राज को फोन कर सूचना दी डीएम ने एक अन्य अधिकारी को निर्देशित किया तो उन्होंने बीएलओ से सम्पर्क कराया बीएलओ ने अपने से पूर्व के बीएलओ की लापरवाही बताकर पल्ला झाड़ लिया। लाख कोशिशों के बाद भी आनन्द स्वरूप वोट से वंचित रहे। ऐसे ही नजारे किदवई नगर विधान सभा सहित अन्य क्षेत्रों में भी दिखे और तमाम मतदाता गुस्से में अपने घर चले गए और उन्होंने सरकारी मशीनरी को खूब आड़े लिया।
बीएलओ के आगे बौने दिखे उच्चाधिकारी
मतदाताओं को वोटिंग से वंचित रखने में जिले के बीएलओज़ की भूमिका संदेह के घेरे में नजर आ रही है। मतदाताओं का विवरण दर्ज करना और उनकी स्थिति के अपडेशन में बीएलओज़ जिम्मेदार होते हैं ऐसे में लोगों का आरोप है कि किसी राजनैतिक साजिश के तहत वोटर्स के नाम काटे गए हैं। कुछ लोग बीएलओज़ की लापरवाही को जिम्मेदार मान रहे हैं। लेकिन यह जांच का विषय है कि तमाम प्रयासों के बाद मतदाता सूची में त्रुटियां क्यों रह गई। नतीजन हजारों लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सके।